ब्रह्मचारिणी माता




नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा ब्रह्मचारिणी माता की जाती है। इस दिन मां दुर्गा ने ब्रह्मचारिणी का रूप धारण किया था। ब्रह्मचारिणी माता का रंग भगवा है, जो तप और त्याग का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में कमंडल और बाएं हाथ में जपमाला सुशोभित है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग, संयम और ब्रह्मचर्य का वरदान प्राप्त होता है। जो लोग ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं, उनका मन पवित्र और एकाग्रचित होता है। उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है और वे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने में सक्षम होते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा निम्न प्रकार है:
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, "हे प्रभु, नवरात्रि के दूसरे दिन किस देवी की पूजा की जाती है और उनकी क्या महिमा है?"
तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "हे धर्मराज, नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है। वे अत्यंत तपस्विनी और त्यागमयी देवी हैं। इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।"
युधिष्ठिर ने फिर पूछा, "हे प्रभु, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है?"
भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, "हे धर्मराज, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग, संयम और ब्रह्मचर्य का वरदान प्राप्त होता है। जो लोग उनकी पूजा करते हैं, उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है और वे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने में सक्षम होते हैं।"
तब से, भक्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूरे श्रद्धा और भक्ति से पूजा करते हैं, ताकि उन्हें भी मां का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
  • तप और त्याग की देवी, मन की रक्षा करने वाली।
  • कमंडल और जपमाला, हाथों में सुशोभित है।
  • भगवा वस्त्र धारण किए, तप की ज्योति जलाई।
  • भक्तों को आशीर्वाद दे, मन को पवित्र करे।
  • सत्य और धर्म की राह, दिखा दे माता हमको।
  • मोह-माया से मुक्ति दे, तप और त्याग का वर दे।
  • जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।