बिहार दिवस: बिहार के गौरवशाली इतिहास की झलक




बिहार का इतिहास प्राचीन काल से समृद्ध और विस्तृत है। 15 नवंबर को मनाया जाने वाला बिहार दिवस इस गौरवशाली अतीत को श्रद्धांजलि देता है।

इस दिन के ऐतिहासिक महत्व को समझने के लिए, हमें समय की धारा में वापस यात्रा करनी होगी। 13वीं शताब्दी में, बिहार के शक्तिशाली पाल साम्राज्य का उदय हुआ, जिसने नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रतिष्ठित बौद्ध शिक्षण केंद्रों की स्थापना की।

16वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के अधीन आने के बाद, बिहार एक प्रमुख प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र बना रहा। पटना उस समय समृद्धि और व्यापार का प्रमुख शहर था।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, बिहार राष्ट्रवादी गतिविधियों का एक गढ़ बन गया। बिहार केसरी के नाम से विख्यात डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, देश के पहले राष्ट्रपति थे।

आज, बिहार एक आधुनिक और प्रगतिशील राज्य है जो अपनी विविध संस्कृति, समृद्ध इतिहास और उद्यमी लोगों के लिए जाना जाता है। बिहार दिवस न केवल अतीत का उत्सव है, बल्कि भविष्य के वादों की भी याद दिलाता है।

  • मगध का वैभव: बिहार कभी मगध साम्राज्य का केंद्र था, जो 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था।
  • वैशाली का लोकतंत्र: छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, वैशाली गणराज्य दुनिया के सबसे प्राचीन ज्ञात लोकतंत्रों में से एक था।
  • नालंदा विश्वविद्यालय: 5वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन विश्व के सबसे प्रमुख बौद्ध शिक्षण केंद्रों में से एक था।
  • भूमिहार आंदोलन: 19वीं शताब्दी के भूमिहार आंदोलन ने बिहार में भूमि सुधारों और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

बिहार दिवस के अवसर पर, आइए हम इस महान राज्य की विरासत का जश्न मनाएं और इसके उज्ज्वल भविष्य के लिए काम करें। अब तू तो बिहारवा हो, हमरो जान हो रे बिहारवा...