भूकंप! यह शब्द ही हमारे भीतर एक अजीब सी दहशत और असहायता की भावना जगा देता है। जब धरती के नीचे छिपा राक्षस ऊपर उठता है, तो यह हमारे पैरों तले की ज़मीन को हिला देता है, हमें असंतुलित कर देता है और जीवन और मृत्यु के बीच एक महीन रेखा पर खड़ा कर देता है।
मैंने अपने जीवन में कई भूकंपों का अनुभव किया है, लेकिन एक विशेष भूकंप मेरी यादों में हमेशा के लिए अंकित हो गया है। यह एक गर्मियों की शाम थी, जब हम सभी लोग घर के अंदर आराम से बैठे थे। अचानक, एक ज़ोरदार गर्जना ने हमें चौंका दिया और ज़मीन हमारे पैरों के नीचे से खिसकने लगी।
भयानक झटके के साथ, दीवारें दरकने लगीं और छत से रोशनी गिरने लगी। हमने दहशत में भागना शुरू किया, बिना जाने कि कहां और कैसे जाना है। आकाश चीख-पुकार और टूटे हुए कांच की आवाज़ों से गूंज उठा।
जब झटके थमे, तो हमने अपने आसपास की तबाही का जायजा लिया। हमारा घर मलबे के एक ढेर में बदल गया था, और आस-पास की इमारतें भी खंडहर हो चुकी थीं। लोग घायल थे, और हवा में धूल और मलबे की गंध फैली हुई थी।
उस क्षण में, हमें एहसास हुआ कि जीवन कितना नाजुक हो सकता है। एक पल में, हम सभी कुछ भी नहीं रह गए थे। लेकिन उस तबाही के बीच में भी, एकता और मानवता की भावना थी। लोग एक-दूसरे की मदद करने और एक-दूसरे को दिलासा देने के लिए एक साथ आए।
भूकंप की विनाशकारी शक्ति निर्विवाद है, लेकिन यह भी हमें मानव की लचीलापन और आशावाद की याद दिलाती है। यह हमें यह भी समझाती है कि हम प्रकृति की शक्तियों के सामने कितने छोटे हैं और हमें हर पल को संजोना चाहिए।
इसलिए, अगली बार जब आप भूकंप के बारे में सुनें, तो आप सिर्फ भयावहता पर ही ध्यान न दें। बल्कि, उन लोगों की कहानियों को भी याद करें जो इससे बच गए और जिन्होंने अपनी लचीलापन और मानवता की विजय का परिचय दिया। और हर पल को महत्व देने के लिए आभारी बनें, क्योंकि जीवन कभी भी अप्रत्याशित मोड़ ले सकता है।
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन यह निश्चित रूप से ऐसी चीज़ नहीं है जिससे हमें डरना चाहिए। हम इससे सीखकर और उससे निपटने के लिए तैयार होकर अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। याद रखें, भूकंप क्षणभंगुर होते हैं, लेकिन जीवन और आशा हमेशा के लिए बने रहते हैं।