भगत सिंह जयंती: एक क्रांतिकारी के जीवन और विरासत का उत्सव




28 सितंबर, 1907 को पंजाब के बंगा में जन्मे भगत सिंह एक महान भारतीय क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी थे। उनकी वीरता, बलिदान और अटूट राष्ट्रवाद की भावना उन्हें भारत के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित क्रांतिकारियों में से एक बनाती है। उनकी जयंती को प्रत्येक वर्ष 28 सितंबर को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है, जो उनके जीवन और विरासत का जश्न मनाने का दिन है।

भगत सिंह की क्रांतिकारी यात्रा युवावस्था में ही शुरू हो गई थी। वह जलियांवाला बाग नरसंहार से बहुत प्रभावित हुए थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया था। वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में शामिल हो गए, जो देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए हिंसा और क्रांति का सहारा लेने वाले एक क्रांतिकारी संगठन था।

सांडर्स की हत्या


17 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह और उनके साथियों ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी. सांडर्स की हत्या कर दी, जो लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना चाहते थे, जिनकी पुलिस लाठीचार्ज में मृत्यु हो गई थी। यह घटना स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और भगत सिंह को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित किया।

सेंट्रल असेंबली बम विस्फोट


8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका, जिसे आज संसद भवन के रूप में जाना जाता है। उन्होंने किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं किया था, बल्कि अंग्रेजों को उनकी क्रूर नीतियों के खिलाफ विरोध जताना चाहते थे। वे जानते थे कि उन्हें इसके लिए गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन वे इस महान लक्ष्य के लिए अपने जीवन का बलिदान करने को तैयार थे।

लाहौर षड्यंत्र केस


सेंट्रल असेंबली बम विस्फोट के बाद भगत सिंह और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उन्हें लाहौर षड्यंत्र केस के नाम से जाना जाने वाले एक मुकदमे में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हालांकि, भगत सिंह ने जेल में भी विद्रोह जारी रखा और उन्होंने भूख हड़ताल की। उनकी मांगों में उनकी यातना बंद करना और राजनीतिक कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार शामिल था।

फांसी


23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई। वे मात्र 23 वर्ष के थे। उनकी फांसी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक नया जोश भर दिया। भगत सिंह की शहादत ने भारत के युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें देश के लिए लड़ने और बलिदान करने के लिए प्रोत्साहित किया।

भगत सिंह का जीवन और विरासत आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी वीरता, देशभक्ति और समाजवाद के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें एक सच्चा नायक बनाती है। उनकी जयंती हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लड़ने वाले सभी क्रांतिकारियों को याद करने और उनकी सराहना करने का अवसर प्रदान करती है। यह हमें भगत सिंह के आदर्शों और देश के प्रति उनके अटूट प्यार से सीखने और उन्हें अपनाने की भी याद दिलाती है।

  • भगत सिंह के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण


  • "क्रांति कोई बिस्तर गुलाब का नहीं है। यह एक आग है जो जला देगी।"
  • "मैं एक योद्धा हूं, कोई संत नहीं।"
  • "इस दुनिया में क्रांति सबसे महान शब्द है।"
  • "मैं साहस नहीं रखता, मैं निडर हूं।"
  • "मृत्यु एक सपना है, और स्वतंत्रता एक सच्चाई है।"

भगत सिंह जयंती वह दिन है जब हम अपने सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक को श्रद्धांजलि देते हैं। यह वह दिन है जब हम देश के लिए लड़ने और बलिदान करने वाले सभी लोगों को याद करते हैं। यह वह दिन है जब हम भगत सिंह के आदर्शों और देश के प्रति उनके अटूट प्यार से सीखने और उन्हें अपनाने की प्रतिज्ञा करते हैं।