भगत सिंह जयंती: एक क्रांतिकारी की प्रेरणादायक कहानी




भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक चमकते सितारे थे। उनका जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के एक छोटे से गांव बंगा में हुआ था। कम उम्र से ही भगत में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। जब वे सिर्फ 12 साल के थे, तब उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा, जिससे उनका दिल दहल गया।
युवावस्था में ही भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में शामिल हो गए, जो एक क्रांतिकारी संगठन था। उन्होंने अंग्रेजी राज के खिलाफ कई साहसिक अभियानों में भाग लिया, जिनमें लाहौर में सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट और लाहौर के पुलिस अधीक्षक जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या शामिल थी।
भगत सिंह के कार्यों ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया। उन्हें 8 अप्रैल, 1929 को गिरफ्तार किया गया और लाहौर षड्यंत्र मामले में मुकदमा चलाया गया। मुकदमे के दौरान, भगत ने अदालत में एक शक्तिशाली भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी शासन की निंदा की और कहा कि वह भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए मरने के लिए तैयार हैं।
  • 8 अक्टूबर, 1930 को भगत सिंह को उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दे दी गई। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और उन्हें भारत के सबसे महान शहीदों में से एक के रूप में पहचाना जाने लगा।
भगत सिंह की विरासत आज भी भारत में प्रासंगिक है। उनकी साहस, त्याग और देशभक्ति की भावना हमें प्रेरित करती है। वह हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता का मूल्य कितना महान है और हमें अपने अधिकारों के लिए हमेशा लड़ना चाहिए।
  1. भगत सिंह की जयंती हमें उनके आदर्शों को याद रखने और उनके द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना करने का अवसर प्रदान करती है। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने देश के उन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया है।
आइए हम भगत सिंह के सपनों को साकार करने और एक ऐसे भारत का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करें जो वास्तव में स्वतंत्र, न्यायसंगत और समृद्ध हो।