भगत सिंह जयंती: एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व की विरासत
भूमिका:
28 सितंबर को हम शहीद भगत सिंह की जयंती मनाते हैं, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति थे। उनका साहस, त्याग और देशभक्ति आज भी लाखों भारतीयों को प्रेरित करती है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के ब्यास में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता और चाचा दोनों क्रांतिकारी थे, जिसने उनके युवा मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ:
1923 में, भगत सिंह नौजवान भारत सभा में शामिल हुए। बाद में उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
लाहौर साजिश केस और फांसी:
8 अप्रैल, 1929 को, भगत सिंह और उनके साथियों ने लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या कर दी। इसके परिणामस्वरूप लाहौर षड्यंत्र का मामला चला, जिसके लिए उन्हें 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गई।
विरासत और प्रभाव:
भगत सिंह की मृत्यु ने पूरे भारत में क्रांतिकारी आंदोलन को जगा दिया। उनके साहस और त्याग ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया और उन्हें एक राष्ट्रीय नायक बना दिया। उनकी विरासत आज भी जारी है, क्योंकि उनकी शिक्षाएं हम सभी को अन्याय के खिलाफ खड़े होने और एक बेहतर भारत के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
वर्तमान प्रासंगिकता:
भगत सिंह के विचार और मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं। एक ऐसे युग में जहां भ्रष्टाचार और कुशासन व्याप्त है, उनके सिद्धांत ईमानदारी, साहस और देशभक्ति का मार्ग देखने में हमारी मदद करते हैं।
निष्कर्ष:
भगत सिंह की जयंती स्वतंत्रता और न्याय के लिए लड़ने वाले एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व की विरासत को याद करने का समय है। उनकी शिक्षाएं और बलिदान हमें प्रेरित करते रहेंगे और हमें एक ऐसे देश का निर्माण करने में मदद करेंगे जिस पर वह गर्व करते।