भगत सिंह जयंती: एक सच्चे क्रांतिकारी की विरासत




भगत सिंह, भारत के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक, ने अपने साहस, बलिदान और अटूट देशभक्ति से एक अमिट विरासत छोड़ी है। 28 सितंबर, 1907 को जन्मे इस युवा क्रांतिकारी ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है।

सिंह एक विद्रोही भावना से प्रेरित थे जो सामाजिक अन्याय और ब्रिटिश शासन से उबल रहा था। उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, भारत की स्वतंत्रता और समाजवाद की वकालत की। सिंह और उनके साथियों ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना की, जो ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए सशस्त्र क्रांति के लिए समर्पित था।

लाहौर में लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए HSRA ने लाहौर के पुलिस अधीक्षक जेपी सॉन्डर्स को मार डाला।
  • उन्होंने सेंट्रल असेंबली में बम फेंके और "इंकलाब जिंदाबाद" (क्रांति जिंदाबाद) के नारे लगाए।
  • सिंह को ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार किया और मुकदमे में डाल दिया, जहाँ उन्होंने अपने विचारों का बहादुरी से बचाव किया।
  • 23 मार्च, 1931 को मात्र 23 वर्ष की आयु में सिंह को फाँसी दे दी गई। उनका बलिदान देश के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक उत्प्रेरक के रूप में भी काम करता था। सिंह की विरासत आज भी सामाजिक न्याय, क्रांतिकारी भावना और देशभक्ति के आदर्श के प्रतीक के रूप में कायम है।

    सिंह की कुछ उल्लेखनीय बातें:

    • "क्रांति उन लौह पुरुषों का कर्म है जिनकी नसों में गर्म खून बहता है, न कि उन कायरों का जो डर के मारे कांपते हैं।"
    • "अत्याचार का निरंतर विरोध ही स्वतंत्रता का मार्ग है।"
    • "जो लोग स्वतंत्रता की कीमत नहीं जानते, वे स्वतंत्रता के लायक नहीं हैं।"

    भगत सिंह जयंती एक अनुस्मारक है कि सच्चे क्रांतिकारी विचार कभी नहीं मरते हैं। यह साहस, बलिदान और सबसे ऊपर, देश के लिए अटूट प्रेम की भावना का उत्सव है। आइए हम भगत सिंह की विरासत को संजोएँ और एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए काम करें जो उनके आदर्शों के अनुरूप हो।