भारत-मॉरीशस कर संधि संशोधन




भारत और मॉरीशस के बीच कर संधि संशोधन एक लंबे समय से प्रतीक्षित कदम है जो दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा। संधि में संशोधन के बाद, भारत प्रभावी रूप से कर चोरी को रोकने और काले धन पर नकेल कसने में सक्षम हो जाएगा।
मूल कर संधि
भारत और मॉरीशस के बीच मौजूदा कर संधि 1983 में हस्ताक्षरित की गई थी। संधि ने दोनों देशों के निवासियों को भारत से मॉरिशस में यात्रा की गई आय पर दोहरे कराधान से बचने की अनुमति दी। हालाँकि, यह संधि कम लाभांश कर दरों और कैपिटल गेन पर छूट जैसे प्रावधानों के कारण कर चोरी के लिए अक्सर दुरुपयोग की जाती रही है।
संशोधित कर संधि
संशोधित कर संधि को 23 नवंबर, 2022 को हस्ताक्षरित किया गया था। नई संधि में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
* लाभांश पर कर दर में वृद्धि: संशोधित संधि लाभांश पर कर दर को 5% से बढ़ाकर 15% कर देती है।
* कैपिटल गेन पर कर की शुरूआत: नई संधि भारत में बिकने वाली इक्विटी शेयरों पर कैपिटल गेन पर 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर 10% कर की शुरूआत करती है।
* लाभकारी स्वामीता प्रावधान: संशोधित संधि में एक लाभकारी स्वामित्व प्रावधान शामिल है जो करदाताओं को भारतीय कराधान से बचने के लिए मॉरीशस में इकाइयों का उपयोग करने से रोकेगा।
संशोधन के लाभ
कर संधि संशोधन के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:
* कर चोरी को रोकना: संशोधित संधि कर चोरी को रोकने और भारतीय राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगी।
* काले धन पर नकेल कसना: भारत से मॉरीशस में स्थानांतरित काले धन पर नकेल कसने में संशोधन भी मदद करेगा。
* आर्थिक सहयोग का सुधार: संशोधित संधि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगी और निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाएगी。
संक्षेप में
भारत-मॉरीशस कर संधि संशोधन एक महत्वपूर्ण विकास है जो दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा। संशोधित संधि कर चोरी को रोकने, काले धन पर नकेल कसने और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग में सुधार करने में मदद करेगी।