भारत के अनमोल रत्न: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन




भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक ऐसे महान शिक्षाविद, दार्शनिक और राजनेता थे, जिनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है। 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी में जन्मे राधाकृष्णन की प्रतिभा बचपन में ही परिलक्षित होने लगी थी। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, जहाँ वे बाद में प्रोफेसर भी बने।
एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् के रूप में, राधाकृष्णन ने भारत में शिक्षा प्रणाली को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में कार्य किया और 1949 से 1952 तक भारत के शिक्षा मंत्री भी रहे। शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने 1964 में शिक्षकों को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस घोषित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में, राधाकृष्णन अद्वैत वेदांत के प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने पाश्चात्य और भारतीय दर्शन को एक साथ लाने के लिए काम किया, जिससे एक अद्वितीय और प्रभावशाली दार्शनिक दृष्टिकोण का निर्माण हुआ। उनकी प्रमुख कृतियों में "भारतीय दर्शन का इतिहास", "दर्शन और जीवन का अर्थ" और "वेदांत की धार्मिक भावना" शामिल हैं।
राधाकृष्णन ने राजनीति में भी एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई। वह 1952 से 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने देश में स्थिरता लाने और भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए काम किया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने हमें ज्ञान, करुणा और आध्यात्मिकता के मूल्यों से जीने के लिए प्रेरित किया। उनके जीवन और योगदान की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।

राधाकृष्णन के विलक्षण व्यक्तित्व और उनकी शिक्षाओं के कुछ दिलचस्प पहलू यहाँ दिए गए हैं:

  • एक प्रखर शिक्षक: राधाकृष्णन एक ऐसे शिक्षक थे जो अपने छात्रों पर अमिट छाप छोड़ते थे। वह शिक्षा को छात्रों के दिमाग को आकार देने और उनके चरित्र को विकसित करने के एक साधन के रूप में मानते थे।
  • अद्वैत वेदांत के प्रबल समर्थक: अद्वैत वेदांत के एक अडिग समर्थक के रूप में, राधाकृष्णन का मानना था कि ईश्वर और आत्मा एक हैं। उन्होंने भारतीय दर्शन और अध्यात्म को एक वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाने में मदद की।
  • विश्व के नागरिक: राधाकृष्णन एक सच्चे विश्व के नागरिक थे, जो भारत और पश्चिम के बीच सेतु का निर्माण करने में विश्वास करते थे। उन्होंने वैश्विक समझ और एकता को बढ़ावा देने के लिए काम किया।
  • एक विनोदी व्यक्ति: अपने गहरे दर्शन के बावजूद, राधाकृष्णन एक विनोदी व्यक्ति भी थे। उनका हास्य अक्सर रोजमर्रा की स्थितियों में देखा जाता था, और वे अक्सर अपने भाषणों और लेखन में चुटीले उद्धरणों का उपयोग करते थे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत और दुनिया भर में शिक्षा, दर्शन और मानवतावादी मूल्यों को आकार देने में एक असाधारण भूमिका निभाई। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है, हमें जीवन की खोज करने और ज्ञान, समझ और करुणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करती है।