भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम




डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। वह एक महान वैज्ञानिक, इंजीनियर और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे। उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में भी जाना जाता है। कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में ही प्राप्त की और उसके बाद तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
डॉ. कलाम ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में की थी। उन्होंने भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट और पहले स्वदेशी रॉकेट एसएलवी-3 के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद वह भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में शामिल हुए जहाँ उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास का नेतृत्व किया। इन मिसाइलों ने भारत की रक्षा क्षमता को काफी मजबूत किया।
कलाम द्वारा किए गए कार्यों के सम्मान में, उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। 2002 में, उन्हें भारत का राष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. कलाम न केवल एक महान वैज्ञानिक और राजनेता थे, बल्कि एक महान शिक्षक भी थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जो युवाओं को प्रेरित करती हैं और उनके जीवन को आकार देने में उनकी मदद करती हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में "इंडिया 2020", "इग्नाइटेड माइंड्स" और "यू आर बॉर्न टू ब्लॉसम" शामिल हैं।
कलाम जी का निधन 27 जुलाई, 2015 को शिलांग, मेघालय में हुआ था। उनके निधन से भारत ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया। वह हमेशा भारतीयों के लिए एक प्रेरणा बने रहेंगे। उनके विचार और उनकी शिक्षाएं सदियों तक हमें प्रेरित करती रहेंगी।