भारत बंद 21 अगस्त




हमारे देश की आज़ादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं. 75 साल लंबा सफ़र तय करना आसान नहीं होता, भारत ने भी संघर्षपूर्ण दिन देखे हैं और विकास के रास्ते पर बढ़ते हुए आज एक मज़बूत देश बनकर खड़ा है. इन 75 सालों में बहुत कुछ बदला है, कुछ अच्छे के लिए तो कुछ बुरे के लिए भी.
भारत की बात करें तो सबसे पहले हमारे दिमाग में गांधी जी का नाम ज़रूर आता हैं, जिनकी अहिंसा और सत्याग्रह ने हमें आज़ादी दिलाई. आज हम आज़ाद हैं, स्वतंत्र हैं, विकास कर रहे हैं और सशक्त बन रहे हैं. आज हम एक लोकतांत्रिक देश हैं जहां हर नागरिक को बोलने और अपनी बात कहने का अधिकार है.
लेकिन क्या वाकई में हम इतने स्वतंत्र हैं जितना सोचते हैं? क्या हमारी आज़ादी पर कोई खतरा तो नहीं है? मुझे नहीं लगता कि इस सवाल का जवाब हां है. हमारा देश आज भी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे कि गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार. ये सभी समस्याएं हमारी आज़ादी को खतरे में डालती हैं.
इन्हीं सब समास्याओं के खिलाफ 21 अगस्त को भारत बंद का आयोजन किया जा रहा है. इस बंद का आयोजन विभिन्न किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है. इस बंद का उद्देश्य सरकार का ध्यान इन गंभीर मुद्दों की ओर आकर्षित करना है.
भारत बंद के आयोजकों की मांगें बहुत ही जायज़ हैं. वे सरकार से किसानों के लिए उचित मूल्य, बेरोजगारों के लिए रोजगार और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की मांग कर रहे हैं. ये सभी मांगें जनता के हित में हैं और सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए.
मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूं कि 21 अगस्त को भारत बंद का समर्थन करें. यह हमारा देश है और इसका भविष्य हमारे हाथ में है. अगर हम मिलकर आवाज़ उठाएंगे तो सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान देना ही पड़ेगा.
आइए हम सभी मिलकर एक मजबूत और समृद्ध भारत का निर्माण करें. जय हिंद!