भारत बनाम जिम्‍बाब्वे: ऐतिहासिक जीत की कहानी




इस ऐतिहासिक जीत ने दुनिया भर के भारतीयों को गर्व से भर दिया। मैदान पर भारतीय टीम का शानदार प्रदर्शन और देशभक्ति के साथ गाया जाने वाला राष्ट्रगान एक ऐसा नजारा था जो आज भी हमारे जेहन में ताजा है।

मैच से पहले का माहौल

भारत और जिम्‍बाब्वे के बीच यह मैच किसी साधारण मैच से कहीं बढ़कर था। यह एक ऐसा मौका था जब भारत के हाथों 1983 का वर्ल्‍डकप जीतने की कमान थी। उस दौर में, जिम्‍बाब्वे एक मजबूत टीम नहीं थी, लेकिन वह पिछले कुछ मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। ऐसे में भारतीय टीम को इस मैच को हल्के में लेने की गुंजाइश नहीं थी।

मैच की शुरुआत

मैच की शुरुआत भारत के लिए अच्छी नहीं रही। जिम्‍बाब्वे के गेंदबाजों ने भारतीय बल्‍लेबाजों को खूब परेशान किया। सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्‍गज बल्‍लेबाज भी जल्‍दी आउट हो गए। एक समय ऐसा था जब भारत का स्‍कोर 5 विकेट पर सिर्फ 126 रन था। लेकिन यहीं से भारतीय टीम ने वापसी की।

युवराज और धोनी की साझेदारी

युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी ने मिलकर एक शानदार साझेदारी की। दोनों ने जिम्‍बाब्वे के गेंदबाजों की जमकर खबर ली। युवराज ने 110 रन की शानदार पारी खेली, जबकि धोनी ने 96 रन बनाए। दोनों की इस साझेदारी ने भारत को सम्‍मानजनक स्‍कोर तक पहुंचाया।

हरभजन की हैट्रिक

भारतीय गेंदबाजों ने भी मैच में अपना दमखम दिखाया। हरभजन सिंह ने शानदार गेंदबाजी करते हुए हैट्रिक ली। उनकी गेंदों के आगे जिम्‍बाब्वे के बल्‍लेबाज नाकाम रहे। हरभजन को उनकी इस शानदार गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्‍कार दिया गया।

जीत का जश्‍न

भारत ने जिम्‍बाब्वे को 120 रन से हराकर 2011 का वर्ल्‍डकप अपने नाम कर लिया। मैच खत्‍म होते ही भारतीय खेमे में जश्‍न का माहौल था। खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को गले लगाया और भारतीय तिरंगा फहराया। यह नजारा देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।

निष्‍कर्ष

भारत की इस ऐतिहासिक जीत ने देश में खुशी की लहर दौड़ा दी। यह न केवल भारत के लिए एक क्रिकेट जीत थी, बल्कि यह एक भावनात्मक जीत भी थी। यह जीत भारतीय टीम की मेहनत, लगन और देशभक्ति की जीत थी।