'भारत 2024 पैरालिंपिक' से पहले तैयारी तेज




पैरालिंपिक्स खेलों में भारत की भागीदारी एक गौरवशाली गाथा है। हमारे एथलीटों ने अपनी असाधारण प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और लचीलेपन से दुनिया को चकित किया है। जैसा कि हम 2024 पैरालिंपिक्स के लिए गियर अप करते हैं, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि हमारे एथलीट इस वैश्विक मंच पर फिर से उत्कृष्ट प्रदर्शन करें।
मेरे लिए, पैरालिंपिक हमेशा प्रेरणा और उत्साह का प्रतीक रहे हैं। ये खेल हमें मानवीय क्षमता की असीम सीमाओं और विकलांगता से परे देखने की शक्ति की याद दिलाते हैं। मुझे एथलीटों की कहानियाँ पढ़ना अच्छा लगता है, जो बाधाओं पर काबू पाते हैं और अपनी खेल भावना के माध्यम से दुनिया को बदलते हैं।
भारतीय पैरालिंपिक समिति (PCI) ने 2024 पैरालिंपिक्स के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है। इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा कोचिंग, विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएं और एथलीटों के लिए व्यक्तिगत सहायता शामिल है। उद्देश्य हमारे एथलीटों को अपने कौशल को विकसित करने, उनकी ताकत का निर्माण करने और मानसिक और शारीरिक रूप से खेल के लिए तैयार होने में मदद करना है।
इसके अतिरिक्त, SAI और PCI विकलांग एथलीटों को वित्तीय सहायता और उपकरण प्रदान कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि सभी एथलीट समान अवसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। भारत सरकार भी पैरालंपिक की तैयारी में सक्रिय रूप से शामिल है, जिससे एथलीटों को उनके सपनों को साकार करने के लिए हर संभव सहायता मिल सके।
मुझे विश्वास है कि भारत 2024 पैरालिंपिक्स में शानदार प्रदर्शन करेगा। हमारे एथलीटों के पास प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और क्षमता है, जो उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाती है। आइए हम उनके सपनों को साकार करने में उनका साथ दें और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने में प्रोत्साहित करें।
जहाँ इच्छा होती है, वहाँ रास्ता होता है
भारतीय पैरालिंपिक आंदोलन में कई प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, जो मानवीय इच्छाशक्ति की गवाही देती हैं। 2016 रियो पैरालिंपिक्स में, भारत ने एथलेटिक्स, निशानेबाजी और भारोत्तोलन में चार पदक जीते। इन पदकों के पीछे असाधारण एथलीट थे, जिनकी कहानियाँ सच्चे साहस और दृढ़ संकल्प की गवाही देती हैं।
दीपा मलिक, जिन्होंने रियो में शॉटपुट में रजत पदक जीता था, एक ऐसी एथलीट हैं जिनकी कहानी आपको प्रेरित करेगी। उन्होंने 19 साल की उम्र में रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर के निदान के बाद अपनी गतिशीलता खो दी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने पैरा-एथलेटिक्स में अपने लिए एक जगह बनाई और कई अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते। दीपा की कहानी हमें सिखाती है कि हमेशा आशा होती है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
मुरलीकांत पेटकर एक और प्रेरणादायक एथलीट हैं। एक दुर्घटना के बाद उन्होंने अपनी एक आँख खो दी, जिसने उनके खेल करियर को खतरे में डाल दिया। लेकिन उन्होंने अपनी दूसरी आंख से निशानेबाजी पर ध्यान केंद्रित किया और 2012 लंदन पैरालिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीता। मुरलीकांत की कहानी हमें दृढ़ता की शक्ति की याद दिलाती है और हमें सिखाती है कि हमारी सीमाएँ केवल हमारे दिमाग में ही होती हैं।
हमारे पैरालिंपियन हमारे लिए केवल प्रेरणा स्रोत ही नहीं हैं, वे हमारे देश के राजदूत भी हैं। वे विकलांगता के प्रति दृष्टिकोण बदल रहे हैं और दिखा रहे हैं कि विकलांगता बाधा नहीं है, यह संभावनाओं की दुनिया खोल सकती है।
भारत के लिए समृद्ध भविष्य
भारत में पैरालिंपिक आंदोलन तेजी से बढ़ रहा है। सरकार, खेल निकाय और कॉर्पोरेट क्षेत्र सभी हमारे पैरालिंपियन का समर्थन करने और उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस समर्थन ने हमारे एथलीटों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और पदक जीतने का मंच प्रदान किया है।
मैं भविष्य के बारे में आशावादी हूँ। मुझे विश्वास है कि भारत 2024 पैरालिंपिक्स और उसके बाद भी पैरालिंपिक खेलों में लगातार सफलता हासिल करेगा। हमारे पास प्रतिभाशाली एथलीट, समर्पित कोच और देश का समर्थन है जो उनके सपनों को साकार करने में विश्वास करता है।
आइए हम सभी अपनी भारतीय पैरालिंपिक टीम के लिए जयकार करें। आइए हम उन्हें उनके प्रयासों में प्रोत्साहित करें और उनकी सफलता का जश्न मनाएँ।