भारত-মরিশাস কর চুক্তি সংশোধন
भारत और मॉरीशस के बीच 30 अक्टूबर, 2022 को भारत-मॉरीशस कर समझौते में संशोधन पर हस्ताक्षर किए गए। यह संशोधन दोनों देशों के बीच कर चोरी को रोकने और कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है।
संशोधन के प्रमुख बिंदु
- बेनिफिशियल ओनरशिप टेस्ट: संशोधित समझौते के अनुसार, केवल वास्तविक लाभार्थी ही संधि लाभों के लिए पात्र होंगे।
- लिमिटेड पर्पज कंपनी (एलपीसी): एलपीसी को अब संधि लाभों के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
- उच्च कर दर: संशोधित समझौते के अनुसार, भारत मॉरीशस से प्राप्त आय पर 15% का उच्च कर लगा सकता है।
- प्रतिफल कर: संशोधित समझौते में एक प्रतिफल कर शामिल किया गया है, जिसके अनुसार भारत मॉरीशस से प्राप्त लाभांश, ब्याज और रॉयल्टी पर 10% का कर लगा सकता है।
दोनों देशों के लिए संशोधनों को लागू करने की तिथि 9 नवंबर, 2023 होगी।
संशोधन के प्रभाव
संशोधनों का भारत और मॉरीशस दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
भारत के लिए, संशोधनों से कर चोरी को रोकने और कर राजस्व में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। संशोधनों से मॉरीशस में पंजीकृत कंपनियों द्वारा भारत में कर चोरी को रोकने में भी मदद मिलेगी।
मॉरीशस के लिए, संशोधनों से उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। मॉरीशस एक कर-हेवन है, और भारतीय कंपनियां कर से बचने के लिए अक्सर मॉरीशस में पंजीकृत होती हैं। संशोधनों से इस प्रथा को रोकने में मदद मिलेगी, जिससे मॉरीशस के राजस्व में कमी आ सकती है।
निष्कर्ष
भारत-मॉरीशस कर समझौते में संशोधन दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। संशोधनों से कर चोरी को रोकने और कर राजस्व में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। हालाँकि, संशोधनों का मॉरीशस की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की भी संभावना है।