मकर संक्रांति, जो 14 जनवरी को पड़ती है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन को चिह्नित करता है, जो उत्तरायण या सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करने की शुरुआत का प्रतीक है।
मकर संक्रांति को पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन कुछ सामान्य परंपराएं हैं:
मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो आशा, खुशी और प्रकृति के नए चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाता है, और लोगों को एक साथ लाने और जीवन का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
मकर संक्रांति की कहानी:एक पौराणिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि की कहानी से जुड़ी हुई है। शनि एक क्रूर ग्रह माने जाते थे, जो दूसरों को दुख पहुंचाते थे। इसलिए, सूर्यदेव ने अपने पुत्र से दूरी बना ली।
मकर संक्रांति के दिन, शनि को एहसास हुआ कि उनकी क्रूरता गलत थी। उन्होंने क्षमा मांगी और सूर्यदेव से मिलने गए। सूर्यदेव, जो अपने पुत्र के पश्चाताप से प्रसन्न हुए, ने उन्हें गले लगाया और आशीर्वाद दिया। इस दिन से, सूर्य का उत्तरायण शुरू हुआ, जो प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है।
मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व:मकर संक्रांति केवल एक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक भी है। यह अज्ञानता के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर जाने का दिन है। यह दिन हमें हमारे भीतर की ज्योति को जगाने और नकारात्मकता से दूर होने की याद दिलाता है।
मकर संक्रांति हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और आशा का संदेश देती है। यह हमें अपने लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है और हमें विश्वास दिलाती है कि अंधेरे के बाद हमेशा प्रकाश आता है।