माकर संक्रांति: सूर्य के उत्तरायण की शुभकामनाएँ!




प्रिय पाठकों,
आज हम माकर संक्रांति का पावन पर्व मना रहे हैं, जो सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है। यह उत्सव हमारे जीवन में खुशियों, समृद्धि और नए अवसरों की शुरुआत करता है।
इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जो उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का अंत और दिनों के लंबे होने का संकेत देता है। माना जाता है कि माकर संक्रांति से ही प्रकृति में शुभता का संचार होता है और बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं।
माकर संक्रांति पूरे देश में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। पंजाब में इसे "लोहड़ी" के रूप में जाना जाता है, जहाँ बड़े अलाव जलाए जाते हैं और लोग गीत-संगीत का आनंद लेते हैं। महाराष्ट्र में इसे "तिल संक्रांति" कहा जाता है, जहाँ लोग तिल और गुड़ से बने लड्डू खाते हैं।
इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व भी है। यह हमें जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को स्वीकार करना और आशा बनाए रखना सिखाता है। सूर्य का उत्तरायण हमारे भीतर की अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने की आशा का प्रतीक है।
माकर संक्रांति के मौके पर, हम अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं, पतंग उड़ाते हैं, और तिल से बनी मिठाइयों का आनंद लेते हैं। यह एक ऐसा समय है जब हम नई शुरुआत करते हैं, हमारे संकल्पों को दोहराते हैं और हमारे जीवन में खुशियों और समृद्धि की कामना करते हैं।
इस माकर संक्रांति, आइए हम अपने दिलों में उजास और खुशियाँ भरे। आइए हम बुरी आदतों को त्यागें और एक बेहतर और उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ।
आप सभी को माकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!