मौंडी गुरुवार की अलौकिक कहानी
हाथी के सिर और मनुष्य की देह वाले गणेश जी की मूर्ति विराजमान है। मंदिर के पुजारी पाठ-पूजा कर रहे हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ है। सब भगवान गणेश जी के दर्शन कर रहे हैं। भक्तों में से एक भक्त मन ही मन गणेश जी से प्रार्थना कर रहा है, "हे गणेश जी, मेरी मनोकामना पूरी करो।"
भक्त की प्रार्थना सुनकर गणेश जी प्रकट होते हैं। वे भक्त से कहते हैं, "वत्स, तुम्हारी मनोकामना क्या है?"
भक्त कहता है, "हे गणेश जी, मैं चाहता हूं कि मेरी शादी हो जाए।"
गणेश जी कहते हैं, "ठीक है, पर तुम्हें एक शर्त पूरी करनी होगी।"
भक्त कहता है, "क्या शर्त?"
गणेश जी कहते हैं, "तुम्हें कल एक कुएं के किनारे जाना होगा। वहां तुम्हें एक कन्या दिखाई देगी। वह तुम्हारी पत्नी बनेगी। पर याद रखना, तुम उसे कंठ तक पानी में घुसे बिना नहीं छूना है।"
भक्त कहता है, "ठीक है, मैं आपकी शर्त मानता हूं।"
दूसरे दिन भक्त कुएं के किनारे जाता है। वहां उसे एक सुंदर कन्या दिखाई देती है। वह कन्या एक कमल के फूल पर बैठी है। भक्त कन्या को देखकर मोहित हो जाता है। वह कन्या को छूने के लिए कंठ तक पानी में घुस जाता है। पर जैसे ही वह कन्या को छूने को होता है, वह कमल के फूल सहित पानी में समा जाती है।
भक्त निराश होकर मंदिर जाता है और सारी बात गणेश जी को बताता है।
गणेश जी कहते हैं, "वत्स, तुमने मेरी शर्त नहीं मानी। तुम कंठ तक पानी में घुसे बिना ही उसे छू सकते थे। अब तुम्हें कभी भी विवाह का सुख नहीं मिलेगा।"
भक्त दुखी होकर घर चला जाता है।
वह भक्त रात भर रोता रहता है। सुबह उसे एहसास होता है कि उसने एक बड़ी गलती की है। वह फिर से मंदिर जाता है और गणेश जी से क्षमा मांगता है।
गणेश जी भक्त की क्षमा याचना स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं, "वत्स, तुम्हारा प्रेम सच्चा है। मैं तुम्हें एक और मौका देता हूं। कल फिर से कुएं के किनारे जाओ। वहां तुम्हें वही कन्या दिखाई देगी। इस बार तुम मेरी शर्त का पालन करना।"
दूसरे दिन भक्त फिर से कुएं के किनारे जाता है। वहां उसे फिर से वही कन्या दिखाई देती है। इस बार भक्त कंठ तक पानी में घुसे बिना ही उसे छूता है। कन्या भक्त के साथ मंदिर चलती है और गणेश जी के सामने दोनों का विवाह हो जाता है।
भक्त और कन्या सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। उनका जीवन गणेश जी की कृपा का प्रमाण है।