भारत के सबसे बड़े चुनावी महायज्ञ की शुरुआत हो चुकी है। इस बार की चुनावी जंग में मतदान प्रतिशत को लेकर देश के तमाम राजनीतिक दलों की नजर टिकी हुई है। जहां सत्ता पक्ष इसे अपनी जीत का मंत्र मान रहा है, वहीं विपक्षी दल इसे अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले कुछ चुनावों में मतदान प्रतिशत में कमी की बात सामने आई है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 66.4% मतदान हुआ था, जबकि 2019 में यह घटकर 67.1% हो गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बार मतदान प्रतिशत में और गिरावट देखने को मिलेगी या फिर मतदाता चुनावी सरगर्मी से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में मतदान करेंगे।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग और राजनीतिक दल दोनों ही अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने इस बार मतदाता जागरूकता अभियान को बड़े पैमाने पर चलाया है। इसके अलावा, राजनीतिक दल भी अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इस बार की चुनावी लड़ाई में युवा मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है। पिछले कुछ चुनावों में युवाओं का मतदान प्रतिशत कम रहा है। हालांकि, इस बार युवा मतदाताओं में मतदान को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर युवाओं द्वारा वोटिंग को लेकर कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं।
अभी यह कहना मुश्किल है कि इस बार मतदान प्रतिशत कितना रहेगा। हालांकि, चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों की कोशिशों से यह उम्मीद जगी है कि मतदाताओं में वोट देने को लेकर जागरूकता बढ़ेगी। अगर मतदान प्रतिशत में अच्छी खासी बढ़ोतरी होती है तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अच्छी खबर होगी।
मतदान करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी आवाज का इस्तेमाल करें और लोकतंत्र को मजबूत करें। अगर हम मतदान नहीं करते हैं तो हम अपने भविष्य को दूसरों के हाथों में सौंप देते हैं। इसलिए, इस बार बड़े उत्साह और जिम्मेदारी के साथ मतदान करें।