बिहार में इन दिनों सड़कों पर गुलाल उड़ेगा. राजधानी पटना से लेकर गांव-गली तक होली के रंग नजर आएँगे. फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. बिहार में होली के दूसरे दिन लट्ठमार होली खेली जाती है. इस दिन महिलाएं पुरुषों संग लाठी डंडे से होली खेलती है. बरसाना लट्ठमार होली के लिए प्रसिद्ध है. ब्रज में इसको लट्ठमार होली और बरसाना में "लट्ठमार होरी" कहते हैं.
बरसाना की लट्ठमार होली में शामिल होने वालों के लिए कुछ नियम हैं. यहां पुरुषों को लाठी नहीं चलानी है. वे सिर्फ ढाल लेकर महिलाओं के प्रहारों से खुद को बचा सकते हैं. रंग-बिरंगे फूलों से सजी ये लाठियां महिलाओं को एक अलग ही ऊर्जा से भर देती हैं. इस होली में पुरुष ढोल-मंजीरे बजाते हैं और महिलाएं लाठी लेकर उन पर टूट पड़ती हैं. इस दौरान पुरुषों को भागते हुए देखा जा सकता है.
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब छोटे थे तब बरसाना में होली खेलने आते थे. बरसाना में राधा का मंदिर है. इस मंदिर की परिक्रमा करने के बाद ही महिलाएं होली खेलने जाती हैं. यह परिक्रमा पूजा के रुप में की जाती है.
इस होली में पुरुषों को लाठी नहीं चलानी है. वे सिर्फ ढाल लेकर महिलाओं के प्रहारों से खुद को बचा सकते हैं. रंग-बिरंगे फूलों से सजी ये लाठियां महिलाओं को एक अलग ही ऊर्जा से भर देती हैं. इस होली में पुरुष ढोल-मंजीरे बजाते हैं और महिलाएं लाठी लेकर उन पर टूट पड़ती हैं. इस दौरान पुरुषों को भागते हुए देखा जा सकता है.
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब छोटे थे तब बरसाना में होली खेलने आते थे. बरसाना में राधा का मंदिर है. इस मंदिर की परिक्रमा करने के बाद ही महिलाएं होली खेलने जाती हैं. यह परिक्रमा पूजा के रुप में की जाती है.