क्या मौजूदा सरकार लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने में विफल रही है? क्या सरकार की नीतियां देश के लिए हानिकारक रही हैं? क्या लोगों का विश्वास सरकार से उठ चुका है? ये ऐसे प्रश्न हैं जो हाल के दिनों में बार-बार पूछे जा रहे हैं। एक नज़र उन कारणों पर डालते हैं जिनकी वजह से लोग माननीय प्रधानमंत्री जी से इस्तीफा मांग रहे हैं। आर्थिक नीतियां
सरकार की आर्थिक नीतियों की व्यापक रूप से आलोचना की गई है। जीएसटी के कार्यान्वयन को एक बड़ी विफलता के रूप में देखा गया है, जिसने व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया है और आम आदमी के लिए जीवनयापन की लागत में वृद्धि की है। नोटबंदी की नीति एक और आपदा रही, जिसने काले धन को रोकने में विफल रही और इसके बजाय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया। बेरोजगारी दर बढ़ रही है और सरकार द्वारा इसे हल करने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। सामाजिक नीतियां
सरकार की सामाजिक नीतियों की भी आलोचना की गई है। नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी पाया गया है। लव जिहाद कानून और ट्रिपल तलाक कानून जैसे अन्य कानूनों को मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया प्रतीत होता है। सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है और असहिष्णुता का माहौल बनाने में योगदान दिया है। विदेश नीति
सरकार की विदेश नीति भी विफल रही है। पाकिस्तान के साथ संबंध बिगड़ गए हैं और सरकार कश्मीर मुद्दे को हल करने में विफल रही है। चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं और सरकार सीमा विवादों को हल करने में विफल रही है। सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाने में भी विफल रही है और दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं। भ्रष्टाचार
सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। राफेल सौदे में अनियमितता के आरोप लगे हैं और सरकार में कई मंत्री घोटालों में फंसे हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं और इसने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है। निष्कर्ष
ये कुछ कारण हैं जिनकी वजह से लोग माननीय प्रधानमंत्री जी से इस्तीफा मांग रहे हैं। लोगों का विश्वास सरकार में से उठता जा रहा है और देश के लिए सरकार की नीतियां हानिकारक रही हैं। यह समय आ गया है कि माननीय प्रधानमंत्री जी राष्ट्र हित में इस्तीफा दे दें।
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