देवेगौड़ा का राजनीतिक सफर काफी रंगारंग रहा है। वह भारत के 11वें प्रधान मंत्री थे और उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया। अपनी सरलता और जनता से जुड़ाव के लिए जाने जाने वाले देवेगौड़ा ने दशकों तक भारतीय राजनीति को आकार दिया है।
भाजपा विरोधी गठबंधन में उनकी भूमिका:आगामी चुनावों के मद्देनजर, देवेगौड़ा एक बार फिर भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि केवल एकजुट विपक्ष ही मोदी की सरकार को सत्ता से हटा सकता है। वह क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं,
कांग्रेस से दूरी:हालांकि देवेगौड़ा भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। उनका तर्क है कि कांग्रेस की छवि खराब हो गई है और पार्टी भाजपा को हराने में असमर्थ साबित हुई है।
मिश्रित प्रतिक्रिया:देवेगौड़ा के विपक्षी गठबंधन बनाने के प्रयासों को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वह भाजपा को हराने के लिए सही व्यक्ति हैं, जबकि अन्य का मानना है कि उनकी उम्र और स्वास्थ्य उनके लिए एक बाधा हो सकती है।
चुनावी परिणाम का असर:आगामी चुनावों का परिणाम भारतीय राजनीति के भविष्य को आकार देगा। यदि देवेगौड़ा भाजपा को हराने में सफल होते हैं, तो यह कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी जीत होगी। दूसरी ओर, यदि भाजपा सत्ता में बनी रहती है, तो इसका मतलब होगा कि देवेगौड़ा का विपक्षी गठबंधन दांव नहीं लगा सका।
निष्कर्ष:एच. डी. देवेगौड़ा भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। आगामी चुनावों में उनकी भूमिका भारतीय राजनीति के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगी। चाहे वह भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने में सफल हों या नहीं, लेकिन उनका प्रभाव भारतीय राजनीति में बरकरार रहेगा।