मार्टिन लूथर किंग: साहस और दृढ़ संकल्प के प्रतीक




मार्टिन लूथर किंग जूनियर का नाम नागरिक अधिकार आंदोलन की कहानी में एक सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए, नस्लवाद और भेदभाव की दीवारों को ध्वस्त करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

15 जनवरी, 1929 को अटलांटा, जॉर्जिया में जन्मे किंग को बचपन से ही नस्लवाद का सामना करना पड़ा। लेकिन इसने उनके अंदर एक ईंधन जगाया जो उनके पूरे जीवन में उनके साथ रहा।

मॉन्टगोमरी बस बहिष्कार में उनकी भूमिका ने उन्हें दुनिया के नक्शे पर ला दिया। 1955 में, रोजा पार्क्स नाम की एक अफ्रीकी-अमेरिकी महिला को बस में अपनी सीट छोड़ने से इनकार करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इस घटना ने किंग को प्रेरित किया, जो उस समय मॉन्टगोमरी में डेक्सटर एवेन्यू बैपटिस्ट चर्च के पादरी थे, बस बहिष्कार का नेतृत्व करने के लिए। 381 दिनों तक चलने वाला बहिष्कार नागरिक अधिकार आंदोलन की एक बड़ी जीत साबित हुआ।

  • 1963 में, किंग ने वाशिंगटन, डी.सी. में लिंकन मेमोरियल के सामने अपना ऐतिहासिक "आई हैव ए ड्रीम" भाषण दिया, जिसने नागरिक अधिकारों के लिए लाखों अमेरिकियों को प्रेरित किया।
  • 1964 में, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 4 अप्रैल, 1968 को, टेनेसी के मेम्फिस में एक मोटल की बालकनी पर उनकी हत्या कर दी गई।

मार्टिन लूथर किंग जूनियर एक विचारक, नेता और नागरिक अधिकार योद्धा थे। उनका "अहिंसक प्रतिरोध" का सिद्धांत दुनिया भर के सामाजिक आंदोलनों को प्रेरित करता रहा है। आज भी, उनके शब्द और कार्य हमें नस्लवाद, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

किंग का जीवन और विरासत हमें याद दिलाती है कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ, हम दुनिया को बदल सकते हैं। हमें उनके आदर्शों को याद रखना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में लागू करना चाहिए। केवल तभी हम एक ऐसा समाज बना पाएंगे जहां हर कोई समान है और सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाता है।