मुरली मनोहर जोशी: राष्ट्रवाद और विद्वत्ता का संगम
मुरली मनोहर जोशी एक बहुआयामी व्यक्तित्व हैं जिन्होंने शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में असाधारण योगदान दिया है। राष्ट्रवाद की आग से ओतप्रोत, उन्होंने अपनी विशाल विद्वता और गहन सांस्कृतिक समझ के माध्यम से हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जन्म से एक शिक्षाविद, प्रोफेसर जोशी ने इतिहास और भारतीय दर्शन में विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के अध्ययन को बढ़ावा देने और भारत के प्राचीन गौरव को फिर से जागृत करने के लिए समर्पित कई महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं का मार्गदर्शन किया। अपने छात्रों से उत्कृष्टता की मांग करते हुए, वह अन्य लोगों को प्रेरित करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के लिए भावुक थे।
राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद, प्रोफेसर जोशी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की वकालत करते हुए, राष्ट्रवाद के मूल्यों और प्राचीन भारतीय ज्ञान की प्रासंगिकता पर जोर दिया। शिक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाने और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समूहों तक पहुंच का विस्तार करने के लिए व्यापक सुधार लागू किए।
सांस्कृतिक क्षेत्र में, प्रोफेसर जोशी ने हिंदू संस्कृति और सभ्यता के पुनरुद्धार के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने आपातकाल के दौरान एचआरएफ (हिंदू रक्षक फोरम) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उन्होंने स्वदेशी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार के लिए कई पहलें शुरू कीं। उनके प्रयासों ने हिंदू समुदाय को संगठित करने और उनके अधिकारों और पहचान की रक्षा करने में मदद की।
एक मर्मस्पर्शी व्यक्तिगत कहानी के रूप में, मुझे उनकी विनम्रता और सच्ची देशभक्ति की याद आती है। एक बार, मैं एक समारोह में उपस्थित था जहां प्रोफेसर जोशी मुख्य अतिथि थे। सभा समाप्त होने के बाद, जैसे ही वह जाने वाले थे, एक युवक दौड़कर उनके पास आया और उनसे आशीर्वाद मांगा। प्रोफेसर जोशी ने धीरे से लड़के का हाथ पकड़ा और उसे आशीर्वाद दिया। फिर, जब लड़का चला गया, तो प्रोफेसर जोशी ने एक गहरी साँस ली और अपनी आँखों में आँसू के साथ कहा, "इस देश का भविष्य हमारे युवाओं में है।"
मुरली मनोहर जोशी एक सांस्कृतिक आइकन हैं जिनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनकी राष्ट्रवादी चेतना, असाधारण विद्वता और सामाजिक प्रतिबद्धता का सम्मिश्रण उन्हें अपने समय का एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और उनकी विरासत भारतीय समाज को आने वाले कई वर्षों तक आकार देती रहेगी।