मल्लिकार्जुन खड़गे: वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता जिनका अनुभव पार्टी के लिए वरदान है




मल्लिकार्जुन खड़गे को हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया है। वह एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं जिनका भारतीय राजनीति में लंबा करियर रहा है।

खड़गे का जन्म 21 जुलाई, 1942 को कर्नाटक के गुलबर्गा जिले के वरवट्टी गाँव में हुआ था। उन्होंने गुलबर्गा में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में गुलबर्गा विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।

खड़गे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1969 में की, जब वह कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1972 से 1978 तक कर्नाटक सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया। 1978 में, वे पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।

खड़गे ने मनमोहन सिंह की सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें रेल मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री और विधि और न्याय मंत्री शामिल हैं। वह 2014 से 2022 तक राज्यसभा के विपक्ष के नेता भी रहे।

खड़गे एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं जिनके पास सरकार और विपक्ष दोनों में काम करने का व्यापक अनुभव है। वह एक धाराप्रवाह वक्ता हैं और आम लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।

खड़गे की नियुक्ति कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। वह उस समय पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं जब वह कई चुनौतियों का सामना कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के उदय, आंतरिक कलह और धन की कमी जैसी चुनौतियाँ शामिल हैं।

हालाँकि, खड़गे के पास उन चुनौतियों से निपटने का अनुभव और ज्ञान है। वह एक कुशल वार्ताकार हैं और लोगों को एक साथ लाने की उनकी क्षमता कांग्रेस के लिए बहुत उपयोगी होगी।

खड़गे की नियुक्ति का स्वागत उनके समर्थकों और विरोधियों दोनों ने किया है। उनकी नियुक्ति को पार्टी को पुनर्जीवित करने और अगले आम चुनाव में उसकी जीत की संभावना बढ़ाने की उम्मीद है।

यह निश्चित रूप से कहना जल्दबाजी होगी कि खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सफल होंगे या नहीं। हालाँकि, उनका अनुभव और उनके नेतृत्व के गुण उन्हें पार्टी को पुनर्जीवित करने और अगले आम चुनाव में उसकी जीत की संभावना बढ़ाने का एक अच्छा मौका देते हैं।