मस्तीखोरों की सभा




""और देखना क्या है""? लोगों की कमी नहीं है और मिलने-जुलने के बहाने भी बहुत हैं। ऐसे ही मस्ती करने वालों की एक सभा भी है जो अक्सर चाय-पकौड़ी के साथ मिल बैठती है और एक दूसरे का मज़ाक उड़ाते हुए अपनी-अपनी जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश करती है। चलिए मिलते हैं इस मस्तीखोर मंडल से और देखते हैं कि आज किसकी बारी है मज़ाक करवाने की।
शहर के एक पार्क में रोज शाम को चाय-पकौड़ी के साथ एक सभा बैठती है। यहां रोज नई कहानियां बनती हैं और पुरानी कहानियों को याद करके हंसा जाता है। सभा के सबसे बड़े सदस्य हैं लल्लू भैया, जो अपनी चुटीली बातों के लिए मशहूर हैं। उनके साथ हैं उनके मित्र रामू, श्यामू, मोहन और गोपाल। ये सभी अपने-अपने मज़ाकिया अंदाज में एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं।
आज की सभा में लल्लू भैया की बारी थी। रामू ने कहा, ""लल्लू भैया, आप तो आजकल बहुत मस्ती में हैं. पार्क में भी आए दिन चक्कर लगाते हैं।"" लल्लू भैया ने जवाब दिया, ""अरे रामू, अब तो बुढ़ापा आ गया है। यार-दोस्तों के साथ मिलकर थोड़ी हंसी-मज़ाक करते हैं तो दिन कट जाता है।"" इस पर श्यामू बोला, ""लल्लू भैया, आपकी हंसी-मज़ाक तो ठीक है लेकिन आपकी चुटीली बातें तो बहुत ही मशहूर हैं।"" लल्लू भैया ने कहा, ""अरे श्यामू, चुटकुले तो हमें बचपन से ही पसंद थे। अब तो आदत हो गई है।""
मोहन ने कहा, ""लल्लू भैया, आपकी चुटकुलों वाली आदत तो मुझे कभी-कभी बहुत परेशान करती है।"" गोपाल बोला, ""अरे मोहन, लल्लू भैया तो मस्ती करने वाले हैं। उनकी बातों पर ध्यान मत दो।"" इस पर सभी हंसने लगे।
""अच्छा बताओ,"" रामू ने कहा, ""आपकी सबसे मज़ेदार चुटकुला कौन सा था?"" लल्लू भैया ने कहा, ""अरे रामू, चुटकुले तो बहुत हैं लेकिन एक चुटकुला मुझे बहुत पसंद है।""
""एक बार एक आदमी डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने उससे पूछा, ""क्या समस्या है?"" आदमी ने कहा, ""डॉक्टर साहब, मुझे बहुत परेशानी हो रही है। मेरी याददाश्त बहुत कमज़ोर हो गई है।"" डॉक्टर ने कहा, ""ठीक है, मैं आपको कुछ दवाइयां दूंगा। लेकिन आपको एक बात याद रखनी होगी।"" आदमी ने पूछा, ""क्या बात डॉक्टर साहब?"" डॉक्टर ने कहा, ""जब मैं आपको दवाइयां दूंगा तो आप सीधे घर जाना।"" आदमी ने कहा, ""ठीक है डॉक्टर साहब।"" डॉक्टर ने उसे दवाइयां दी और कहा, ""अब आप सीधे घर जाइए।"" आदमी दवाइयां लेकर चलने लगा लेकिन रास्ते में उसे याद नहीं रहा कि उसे कहां जाना है।""
सभी हंसने लगे। गोपाल ने कहा, ""लल्लू भैया, आपकी ये चुटकुले तो कमाल के हैं।"" लल्लू भैया ने कहा, ""अरे गोपाल, ये तो बस एक उदाहरण था। मेरे पास ऐसे बहुत से चुटकुले हैं।"" इस पर सभी फिर हंसने लगे।
चाय-पकौड़ी और मस्ती-मज़ाक के साथ दिन ढल गया। सभा के सभी सदस्य हंसते-खेलते अपने-अपने घरों को चले गए। लल्लू भैया के मज़ाकिया अंदाज ने सबकी शाम को खुशनुमा बना दिया था।