चलो आज हम बात करते हैं एक ऐसे शख़्स की जिसने अपनी ज़िंदगी को दुनिया को बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर दिया। मोहन माझी, ओडिशा के एक आदिवासी, जो अपने अथक प्रयास और समाज में बदलाव लाने के जुनून के लिए जाने जाते हैं।
मोहन माझी का जन्म 1969 में ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्हें कम उम्र में ही स्कूल छोड़ना पड़ा और वे मजदूर बन गए। लेकिन गरीबी और अभाव ने उनकी आत्मा को नहीं मारा। वे हमेशा कुछ अलग करने के लिए प्रेरित थे।
"मैंने देखा था कि मेरे गांव के लोग बरसात के दिनों में बीमारियों और तकलीफों से जूझते हैं।" - मोहन माझी
मोहन का ध्यान अपने गांव की एक बड़ी समस्या की ओर गया। बरसात के दिनों में गांव का रास्ता इतना खराब हो जाता था कि लोगों को बाजार तक पहुंचने में परेशानी होती थी, खासकर महिलाओं और बच्चों को। उन्होंने कुछ करने का फैसला किया।
मोहन माझी की कहानी सिर्फ़ एक सड़क बनाने की कहानी नहीं है। यह दृढ़ निश्चय, दृढ़ इच्छाशक्ति और समाज को बदलने की शक्ति की कहानी है। उनकी उपलब्धियों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें "माउंटेन मैन ऑफ ओडिशा" के नाम से जाना जाता है।
मोहन माझी का जीवन हमें याद दिलाता है कि कोई भी चीज़ असंभव नहीं है अगर आप दृढ़ निश्चयी हों। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हम सभी में दुनिया को बेहतर बनाने की शक्ति है।
आइए हम मोहन माझी से प्रेरणा लें और अपनी क्षमता को पहचानें। आइए हम अपने समुदायों और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए काम करें।