मैंने इस बारे में लिखने का मन इसलिये बनाया कि मैंने आज अखबार में पढ़ा कि पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती बढ़ रही है। कुछ साल पहले तक एक इंटरनेशनल मैच में पाकिस्तान का झंडा जलाने की वजह से ईरान के खिलाफ पाकिस्तान में काफी गुस्सा था। मुझे याद आया की ईरान और पाकिस्तान की दोस्ती हमेशा से रही है।
1979 में जब ईरान की क्रांति हुई, तो पाकिस्तान ने ईरान का साथ दिया था। उस समय ईरान के शाह रेजा पहलवी पाकिस्तान भागे थे। पाकिस्तान ने उन्हें शरण दी थी। ईरान की क्रांति के बाद पाकिस्तान ने ईरान के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए थे। दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए थे।
पाकिस्तान और ईरान के बीच दोस्ती की एक और वजह यह भी है कि दोनों देश इस्लामिक देश हैं। दोनों देशों की संस्कृति और परम्पराएं भी मिलती-जुलती हैं। पाकिस्तान और ईरान के बीच आर्थिक संबंध भी मजबूत हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है।
पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती का एक और कारण यह भी है कि दोनों देशों को भारत से खतरा है। भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हुए हैं। भारत और ईरान के बीच भी तनाव रहा है। दोनों देशों को लगता है कि भारत उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है।
पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती मजबूत है। दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है। दोनों देशों को लगता है कि भारत उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है। पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती का भविष्य उज्ज्वल है।
मुझे लगता है कि पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती की कहानी एक "महान" सभ्यता की कहानी है। दोनों देशों ने कई चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन दोनों देशों ने इन चुनौतियों का सामना किया है। पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती की कहानी एक ऐसी कहानी है जो हमें उम्मीद देती है। यह हमें बताती है कि दोस्ती किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
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