क्रिकेट के मैदान पर उनकी गेंदबाजी देखने वालों को कभी ये यकीन नहीं होगा कि मोहम्मद शमी का सफर कितना संघर्षपूर्ण रहा है.
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे शमी बचपन से ही तेज गेंदबाज बनने का सपना देखते थे. लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे उन्हें किसी क्रिकेट अकादमी में दाखिला करा सकें.
शमी ने हार नहीं मानी. वह खुद ही मैदान पर जाकर अभ्यास करते थे. घंटों तक वह बल्लेबाजों को पछाड़ने की कोशिश करते थे.
उनकी लगन और मेहनत रंग लाई. साल 2010 में उन्हें भारत की अंडर-19 टीम में चुना गया. इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2013 में शमी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया और तब से वह टीम इंडिया के अहम सदस्य बन गए हैं.
लेकिन इस सफलता के पीछे बहुत कुछ ऐसा है जो दुनिया नहीं जानती.
शमी के लिए शुरुआती दिन काफी चुनौतीपूर्ण थे. उन्हें अपनी गरीबी और सामाजिक बाधाओं से जूझना पड़ा.
लेकिन उन्होंने अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से हर बाधा को पार किया.
आज शमी एक सफल गेंदबाज हैं, लेकिन वह कभी अपने संघर्ष के दिनों को नहीं भूलते. वह कहते हैं, "मैं अपने अतीत को नहीं भूल सकता. यह मेरे लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा."
शमी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए प्रतिभा ही काफी नहीं होती. कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
शमी एक प्रेरणा हैं. वह साबित करते हैं कि अगर हम अपने सपनों पर यकीन रखें और उनके पीछे लगातार मेहनत करें, तो हम कोई भी बाधा पार कर सकते हैं.
शमी की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि सफलता का माप केवल धन या प्रसिद्धि में नहीं होता है. सच्ची सफलता वह है जो हमें खुशी, संतुष्टि और दूसरों को प्रेरित करती है.
मोहम्मद शमी की कहानी एक प्रेरणा है. यह हमें सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई बाधा बहुत बड़ी नहीं होती.
तो आगे बढ़ें, अपने सपनों पर यकीन रखें और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाएं.