मुहर्रम क्या है? मुह



मुहर्रम क्या है?


मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, जो शिया मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और साथ ही इस्लाम के एक त्रासद घटना को भी याद दिलाता है, जिसे कर्बला की लड़ाई कहा जाता है।

कर्बला की लड़ाई 680 ईस्वी में इराक के कर्बला शहर में हुई थी। इस लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन और उनके समर्थकों को खलीफा यजीद की सेना ने मार डाला था। यह घटना शिया मुसलमानों के लिए एक बड़ा दुखदायी दिन है, और वे इसे शोक और शोक के साथ मनाते हैं।

मुहर्रम की परंपराएँ

मुहर्रम महीने के दौरान, शिया मुसलमान कई तरह की परंपराओं का पालन करते हैं। कुछ सामान्य परंपराओं में शामिल हैं:

  • स्वयं को चोट पहुँचाना: कुछ शिया मुसलमान खुद को चोट पहुँचाते हैं, जैसे कि सीने पर पीटना या जंजीरों से खुद को कोड़े मारना। यह आत्म-बलिदान का प्रतीक है और शहीदों के दुख का अनुभव करने का एक तरीका है।
  • मातम: शिया मुसलमान इमाम हुसैन और उनके साथियों के लिए मातम मनाते हैं। वे नौकरियाँ करते हैं, शोकगीत गाते हैं और दुःख व्यक्त करते हैं।
  • उपवास: कुछ शिया मुसलमान मुहर्रम के 10वें दिन उपवास करते हैं, जिसे आशूरा कहा जाता है। यह उस दिन को याद दिलाता है जब इमाम हुसैन को मार दिया गया था।
  • जलूस: शिया मुसलमान मुहर्रम के दौरान ताज़िये नामक जुलूस निकालते हैं। ताज़िये इमाम हुसैन और उनके साथियों की समाधियों का प्रतीक हैं।
मुहर्रम का महत्व

मुहर्रम शिया मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना है। यह उन्हें न्याय और बलिदान के महत्व को याद दिलाता है। यह उन्हें धार्मिक कर्तव्य की भी याद दिलाता है, और उन्हें अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

मुहर्रम गैर-शिया मुसलमानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण महीना है। यह उन्हें इस्लामी इतिहास की एक दुखद घटना के बारे में सिखाता है, और यह उन्हें धार्मिक सहिष्णुता और समझ के महत्व के बारे में याद दिलाता है।

प्रतिबिंब

मुहर्रम एक विचारशील महीना है जो शोक, आत्म-बलिदान और साहस के विषयों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें अपने जीवन में और दुनिया में न्याय और शांति को बढ़ावा देने के लिए अपने कार्यों पर विचार करने और प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करता है।