महावीर जयंति
जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में कुंडग्राम (वर्तमान में बिहार के वैशाली जिले में बिसावी) में हुआ था। महावीर जयंति उनके जन्म की वर्षगांठ है, जो जैन समुदाय के लिए एक पवित्र त्योहार है।
महावीर जयंति आमतौर पर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल के मध्य में पड़ता है। इस दिन जैन मंदिरों को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है, और महावीर स्वामी की मूर्तियों को विशेष रूप से स्नान कराया जाता है। श्रद्धालु उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और महावीर स्वामी के उपदेशों का पाठ करते हैं।
अहिंसा की साधना
महावीर स्वामी अपनी अहिंसा की शिक्षाओं के लिए जाने जाते थे। उनका मानना था कि सभी जीवित प्राणी हिंसा से मुक्त होने के पात्र हैं, चाहे वे मनुष्य हों या जानवर। महावीर स्वामी ने पांच महान प्रतिज्ञाओं का पालन करने पर जोर दिया, जिन्हें "अहिंसा", "सत्य", "अस्तेय", "ब्रह्मचर्य" और "अपरिग्रह" के रूप में जाना जाता है।
जैन धर्म की नींव
महावीर स्वामी ने जैन धर्म की नींव भी रखी, जो दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। जैन धर्म कर्म के सिद्धांत पर आधारित है, जो मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार है और उसे अपने कार्यों के परिणाम भुगतने होंगे। जैन धर्म का उद्देश्य अज्ञानता और कर्म संबंधों को दूर करना और मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करना है।
महावीर जयंति का महत्व
महावीर जयंति जैन समुदाय के लिए एक पवित्र त्योहार है, लेकिन यह दूसरों के लिए भी महत्वपूर्ण है। महावीर स्वामी की अहिंसा और करुणा की शिक्षाएं सभी के लिए प्रासंगिक हैं, और वे आज की दुनिया में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
हम सभी को महावीर स्वामी के उपदेशों का पालन करने और हिंसा, घृणा और अविश्वास से दुनिया को मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए। आइए हम सभी सहिष्णुता, करुणा और समझ को बढ़ावा दें और एक अधिक शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाने के लिए काम करें।
महावीर स्वामी के उपदेशों की प्रासंगिकता का एक उदाहरण हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध है। महावीर स्वामी ने हमें सिखाया कि हिंसा केवल और अधिक हिंसा को जन्म देती है, और सच्ची जीत अहिंसा के मार्ग पर चलने में निहित है।
आइए हम सभी महावीर स्वामी के उपदेशों को याद रखें और हिंसा के चक्र को तोड़ने का प्रयास करें। आइए हम सभी के लिए शांति और सद्भाव की कामना करें।