'पकड़ना नामुमकिन' वाली छवि
मुख़्तार अंसारी की 'पकड़ना नामुमकिन' वाली छवि यूपी में घर-घर तक है। उनकी गिरफ़्तारी को लेकर कई बार अभियान चलाए गए, लेकिन हर बार वे पुलिस को चकमा देकर भाग निकलने में सफल रहे। यहां तक कि पंजाब में गिरफ़्तार कर लाए जाने के बाद भी उन्हें पेशी में ले जाते समय वे अस्पताल से फरार हो गए थे। उनकी इसी चतुराई की वजह से उन्हें 'भागा' नाम से भी जाना जाता है।सियासत और अपराध का रिश्ता
मुख़्तार अंसारी के जीवन की सबसे दिलचस्प बात है उसका सियासत और अपराध का रिश्ता। 1996 में वह मऊ सदर से निर्दलीय विधायक चुने गए। इसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी वह इसी सीट से विधायक बने। 2009 और 2014 में उन्होंने गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की।विवादों से भरा रहा सियासी सफर
मुख़्तार अंसारी का सियासी सफर विवादों से भरा रहा। 2005 में उनकी पत्नी अफशां अंसारी भी मऊ सदर से विधायक चुनी गई थीं। लेकिन उन पर भी कई मुकदमे चल रहे थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख़्तार अंसारी जेल में थे, लेकिन फिर भी उन्होंने मऊ सदर सीट से जीत हासिल की। 2019 में उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी।अंडरवर्ल्ड से भी कनेक्शन
मुख़्तार अंसारी का अंडरवर्ल्ड से भी कनेक्शन रहा है। उन्हें 'बृजेश सिंह' का करीबी माना जाता था। 'अरुण कुमार यादव' की हत्या के बाद से भी मुख़्तार पर कई सवाल उठे थे।पंजाब में गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण
पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख़्तार अंसारी को साल 2022 की जनवरी में पंजाब पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। इसके बाद उन्हें यूपी लाया गया। उन्हें लेकर तक़रीबन 23 साल से यूपी पुलिस दौड़ रही थी।यूपी में फिर जेल में बंद
पंजाब से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद से मुख़्तार अंसारी यूपी की बांदा जेल में बंद है। उन पर अभी भी मऊ में हत्या, अपहरण और फिरौती के कई मुक़दमे चल रहे हैं।