माँ तेरेसा को दुनिया भर में उनके असाधारण समर्पण और करुणा के लिए जाना जाता था। उनका जीवन एक जीवंत साक्षी था कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया में बदलाव ला सकता है।
एग्नेस गोंझा बोयाजीउ के रूप में जन्मी, माँ तेरेसा ने युवावस्था से ही मिशनरी जीवन के लिए एक मजबूत आह्वान महसूस किया। वह 18 साल की उम्र में लोरेटो की बहनों में शामिल हो गईं और 1929 में भारत के कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) चली गईं।
कोलकाता की झुग्गी-झोपड़ियों में सेवा:
कोलकाता के शहर में, माँ तेरेसा झुग्गी-झोपड़ियों की दयनीय स्थिति से गहराई से प्रभावित हुईं। उन्होंने देखा कि सबसे गरीबों और सबसे कमजोर लोगों को बुनियादी ज़रूरतों की भी कमी थी।
1946 में, माँ तेरेसा ने "गरीबों के लिए मिशनरी" की स्थापना की, एक धार्मिक आदेश जो विशेष रूप से झुग्गी-झोपड़ियों में गरीबों और मरने वालों की सेवा पर केंद्रित था।
मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी:मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी तेजी से बढ़ी, दुनिया भर में हजारों सदस्यों और सैकड़ों घरों की स्थापना हुई। मिशनरीज़ ने अनाथालय, कुष्ठ अस्पताल, एड्स देखभाल केंद्र और आपदा राहत कार्यक्रम चलाए।
माँ तेरेसा की करुणा दूर-दूर तक फैली:
विश्वास और विरासत:
माँ तेरेसा एक गहरी आस्तिक थीं जो मानती थीं कि ईश्वर का प्रेम हर किसी तक पहुंचना चाहिए, चाहे उनकी धार्मिक मान्यताएँ या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
उनके मानवतावादी कार्य ने उन्हें दुनिया भर में सम्मान और प्रशंसा दिलाई। उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
एक प्रेरणा:
माँ तेरेसा का जीवन गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा के लिए बेजोड़ समर्पण की एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी कहानी हमें दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति, करुणा और दृढ़ संकल्प के साथ, दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
माँ तेरेसा के प्रसिद्ध उद्धरण:
माँ तेरेसा की विरासत आज भी जारी है:
माँ तेरेसा की मृत्यु 1997 में हुई, लेकिन उनकी विरासत आज भी मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी के काम के ज़रिए जारी है। आदेश दुनिया भर में 133 से अधिक देशों में काम कर रहा है, जिसमें गरीबों, बीमारों और मरने वालों की सेवा की जाती है।
माँ तेरेसा की कहानी हमें याद दिलाती है कि दुनिया में बदलाव लाने के लिए हमें बड़े होने या विशेष शक्तियाँ होने की ज़रूरत नहीं है। हम सभी, करुणा और समर्पण के साथ, हमारे चारों ओर की दुनिया को बेहतर बनाने में भूमिका निभा सकते हैं।
आप भी माँ तेरेसा की विरासत को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं:
माँ तेरेसा ने कहा था, "हर संत एक पापी था, और हर पापी एक संत हो सकता है।" आइए हम सभी उनके उदाहरण का पालन करें और दुनिया को एक अधिक दयालु और करुणामय स्थान बनने में मदद करें।