माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति में उनके दाहिने हाथ में कमंडल और बाएँ हाथ में जपमाला दिखाई देती है। माँ ब्रह्मचारिणी की सवारी नंदी है। माँ ब्रह्मचारिणी को लाल रंग बहुत पसंद है इसलिए नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा को लाल रंग का भोग लगाया जाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
पुराणों के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। माँ ब्रह्मचारिणी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। इस दौरान उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया और केवल फल-फूलों पर ही निर्वाह किया। माँ ब्रह्मचारिणी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना वरदान दिया। भगवान शिव ने माँ ब्रह्मचारिणी को वरदान दिया कि वे उनके साथ विवाह करेंगी।माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी को लाल रंग का भोग लगाया जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र है: "या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।" माँ ब्रह्मचारिणी की आरतीजय ब्रह्मचारिणी माँ जय माँ ब्रह्मचारिणी।
तुम हो ज्ञान की देवी तुम हो तप की मूर्ति।
तुम्हें नमन है माँ तुम्हें नमन है।
जिसने तुम्हें पाया माँ वो संसार से न्यारा है।
उसको न कोई दुख है न कोई डर है।
माँ तुम भक्तों की पालनहार हो।
तुम हो सत्य की राह तुम हो धर्म की डोर।
तुम्हारे चरणों में माँ है सबका उद्धार।
दया करो माँ हम पर दया करो।
हे ब्रह्मचारिणी माँ तेरी जय हो।
तेरी कृपा से माँ हो सबका कल्याण।
जय जय ब्रह्मचारिणी माँ जय माँ ब्रह्मचारिणी।