स्वर्ण मंदिर, जिसे हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है, सिखों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है और दुनिया भर के लोगों के लिए आध्यात्मिक शांति और विश्राम का प्रतीक है। यह मंदिर अमृतसर शहर में स्थित है, जो पंजाब के पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में गुरु अंगद देव ने की थी। इस मंदिर का निर्माण गुरु राम दास ने करवाया था, जो सिखों के चौथे गुरु थे। उन्होंने सरोवर की खुदाई की थी, जिसे अमृतसर भी कहा जाता है, और इसका नाम अमृतसर रखा था, जिसका अर्थ है अमृत का सरोवर। स्वर्ण मंदिर की सबसे आकर्षक विशेषताओं में से एक इसका स्वर्ण गुंबद है, जो इसे एक विशिष्ट और शानदार आभा प्रदान करता है। मंदिर को 750 किलोग्राम शुद्ध सोने से मढ़ा गया है, जो इसे दुनिया की सबसे पवित्र जगहों में से एक बनाता है।
स्वर्ण मंदिर में कई अन्य आकर्षक विशेषताएं भी हैं, जैसे:
दरबार साहिब: मंदिर का मुख्य मंदिर, जहां गुरु ग्रंथ साहिब स्थापित है, जो सिखों का पवित्र ग्रंथ है।
अकाल तख्त: एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा, जो सिखों के धार्मिक और राजनीतिक अधिकार का प्रतीक है।
बबा अटल राय जी गुरुद्वारा: गुरु हरगोबिंद के छोटे बेटे का गुरुद्वारा, जो एक प्रसिद्ध संत और योद्धा थे।
गुरु का लंगर: एक सामुदायिक रसोई, जहां सभी धर्मों और जातियों के भक्तों को निःशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है।
स्वर्ण मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का भी स्थान है। यह सिख धर्म के इतिहास और परंपरा को दर्शाता है। मंदिर की वास्तुकला इस्लामी और हिंदू प्रभावों को प्रदर्शित करती है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। स्वर्ण मंदिर अमृतसर में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह दुनिया भर के लोगों के लिए शांति और सद्भाव का प्रतीक है। यदि आप अमृतसर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो स्वर्ण मंदिर का दौरा अवश्य करें और इस पवित्र और शांत स्थल के आध्यात्मिक वातावरण का अनुभव करें।
We use cookies and 3rd party services to recognize visitors, target ads and analyze site traffic.
By using this site you agree to this Privacy Policy.
Learn how to clear cookies here