यूपीएससी के चेयरमैन मनोज सोनी




यूपीएससी के नए चेयरमैन मनोज सोनी की नियुक्ति ने प्रशासनिक हलकों में काफी चर्चा और बहस छेड़ दी है। एक तरफ, कई लोग उनके अनुभव और प्रशासनिक क्षमताओं की सराहना कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ कुछ लोग उनके आरएसएस से जुड़ाव को लेकर चिंता जता रहे हैं।
पद संभालने से पहले, सोनी केंद्रीय सतर्कता आयोग में सचिव के रूप में काम कर रहे थे। इससे पहले, उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया है, जिनमें गृह मंत्रालय में सचिव और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव शामिल हैं।
सोनी की प्रशासनिक क्षमताओं से कोई इनकार नहीं करता। उन्हें एक सक्षम और कुशल अधिकारी के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, आरएसएस से उनका जुड़ाव कुछ लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है। उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी माना जाता है और कुछ लोगों को डर है कि उनकी नियुक्ति से यूपीएससी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सोनी ने किसी भी गलत काम का आरोप नहीं लगाया है। इसके अलावा, आरएसएस के साथ उनके जुड़ाव का मतलब यह नहीं है कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे। वह एक पेशेवर अधिकारी हैं और उनसे यूपीएससी के दिशानिर्देशों के अनुसार निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से काम करने की उम्मीद की जाती है।
हालांकि आरएसएस से सोनी का जुड़ाव कुछ लोगों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनकी नियुक्ति कानून के अनुसार हुई है। सरकार का तर्क है कि वह इस पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार थे।
केवल समय ही बताएगा कि सोनी यूपीएससी के चेयरमैन के रूप में कैसे कार्य करेंगे। हालाँकि, यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे या आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता से समझौता करेंगे।