यूपी पुलिस: शुक्र है मेरे साथ नहीं हुआ, मैं तो कभी थाने नहीं गई




यूपी पुलिस का नाम सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं एक साधारण नागरिक हूं, जिसका किसी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन मेरे एक दोस्त ने जो यूपी में काम करता है, ने मुझे पुलिस की कुछ ऐसी कहानियां सुनाईं कि मैं आज भी कांप जाती हूं।

एक बार, मेरे दोस्त को एक चेकिंग के दौरान रोका गया। उसकी कार के कागजात पूरे थे, लेकिन पुलिसवाले ने बिना किसी कारण के उसे घंटों तक थाने में बिठाए रखा। जब बहुत देर हो गई, तो मेरे दोस्त ने पूछा कि वह कब जा सकता है। पुलिसवाले ने जवाब दिया, "जब तक तुम हमें कुछ नहीं दोगे, तुम यहां से नहीं जा सकते।"

मेरे दोस्त ने मना कर दिया, तो पुलिसवाले ने उसे मारा-पीटा। अंत में, मेरे दोस्त को 5000 रुपये देने पड़े, तब जाकर उसे जाने दिया गया।

ये तो सिर्फ एक कहानी है। मैंने ऐसी कई कहानियां सुनी हैं, जहां पुलिसवालों ने लोगों को गलत तरीके से गिरफ्तार किया है, उन्हें पीटा है और उनसे पैसे वसूले हैं। यह बहुत ही गलत है।

मैं खुश हूं कि मेरे साथ कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। लेकिन मैं उन सभी लोगों के लिए चिंता करती हूं जिनके साथ ऐसा हुआ है। यूपी पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। उन्हें लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

मैं उम्मीद करती हूं कि एक दिन ऐसा आएगा जब यूपी पुलिस का नाम सुनकर लोगों को डर नहीं लगेगा। जब पुलिसवादी लोगों की मदद करेंगे, न कि उनका शोषण करेंगे।

यदि आप यूपी पुलिस की ज्यादती का शिकार हुए हैं, तो कृपया अपनी कहानी हमसे साझा करें।
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