राजीव कुमार नाम से हिंदी पट्टी में कोई अनजान नहीं है। अपने बेबाक व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान से वह हिंदी प्रेमियों के बीच विशेष स्थान रखते हैं। हमारे गाँव का नाम नामक उनकी चर्चित कहानी ने उन्हें अमर नाम दिला दिया।
राजीव कुमार एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके दिल में हमेशा अपने देश और समाज के प्रति प्रेम रहा है। वे एक ऐसे लेखक हैं, जिनकी लेखनी में सादगी और यथार्थवाद का मिश्रण है। उनकी कहानियाँ पाठकों को समाज के वास्तविक जीवन की झलक दिखाती हैं, साथ ही पाठकों को सोचने पर मजबूर भी करती हैं।
उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता उनकी बेबाकी है। वे अपनी बातें हमेशा स्पष्ट और मुखरता से रखते हैं, चाहे वह कितनी भी कड़वी क्यों न हो। इसी बेबाकी के कारण उन्हें कई बार विवादों का भी सामना करना पड़ा है, पर उन्होंने कभी भी अपने विचारों और अपनी लेखनी से पीछे हटने की कोशिश नहीं की।
राजीव कुमार अपने लेखन से समाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हैं, पर उनका उद्देश्य केवल आलोचना करना नहीं है। वे पाठकों को इन बुराइयों के प्रति जागरूक करना चाहते हैं और उन्हें उनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। उनका मानना है कि लेखक का दायित्व है कि वह समाज में बदलाव लाए और लोगों को सही दिशा दिखाए।
राजीव कुमार की कहानियाँ हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों को समाज के वास्तविक जीवन की झलक दिखाती हैं, उन्हें सोचने पर मजबूर करती हैं और उन्हें समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। वे ऐसे लेखक हैं, जिनकी लेखनी में सादगी और यथार्थवाद का मिश्रण है, और जिनकी बेबाकी उनकी लेखनी की एक विशिष्ट विशेषता है।
अंत में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप एक बार राजीव कुमार की कहानियाँ ज़रूर पढ़ें। उनकी कहानियाँ आपको निराश नहीं करेंगी। उनकी कहानियाँ आपको समाज के वास्तविक जीवन की झलक दिखाएँगी, आपको सोचने पर मजबूर करेंगी और आपको समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करेंगी।