रत्नम मूवी रिव्यू




संतोष सीवी की हालिया पेशकश, "रत्नम," एक महत्वाकांक्षी फिल्म है जो भारतीय इतिहास के एक जटिल और विवादास्पद अध्याय की पड़ताल करती है। फिल्म एक शक्तिशाली कहानी प्रस्तुत करती है जो दर्शकों को गहरे विचार के लिए प्रेरित करेगी।

कहानी 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की पृष्ठभूमि में निर्धारित है। फिल्म दो समानांतर कहानियों का अनुसरण करती है: एक भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले एक क्रांतिकारी की कहानी, और एक ब्रिटिश अधिकारी की कहानी जो नरसंहार का निरीक्षण करता है।

क्रांतिकारी का किरदार अर्जुन रामपाल द्वारा शानदार ढंग से निभाया गया है, जो अपने जुनून और दृढ़ संकल्प को जीवंत करते हैं। ब्रिटिश अधिकारी की भूमिका में राहुल बोस equally equally प्रभावशाली हैं, जो चरित्र की जटिलता और आत्म-संदेह को बारीकी से दर्शाते हैं।

संतोष सीवी का निर्देशन शानदार है। वह कहानी को संवेदनशीलता और शक्ति के साथ पेश करता है, दर्शकों को नरसंहार की भयावहता से अवगत कराता है। फिल्म शक्तिशाली दृश्यों और एक मार्मिक संगीत स्कोर से भरी हुई है जो फिल्म के प्रभाव को और बढ़ाता है।

हालांकि, फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी सार्थकता है। "रत्नम" भारत के स्वतंत्रता संग्राम और अन्याय के खिलाफ लड़ने के महत्व की याद दिलाती है। यह राष्ट्रवाद और ब्रिटिश शासन के आतंक के खतरों की भी पड़ताल करती है।

नकारात्मक पक्ष पर, फिल्म की गति कभी-कभी धीमी हो जाती है, और कुछ दृश्यों को संपादन की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, कुछ पात्र पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं, जिससे उनकी प्रेरणाएं अस्पष्ट रह जाती हैं।

कुल मिलाकर, "रत्नम" एक शक्तिशाली और भावनात्मक रूप से आवेशित फिल्म है जो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की पड़ताल करती है। इसकी शानदार प्रदर्शन, सार्थक कहानी और शानदार निर्देशन इसे उन फिल्मों में से एक बनाते हैं जिन्हें याद रखा जाएगा और उनके बारे में बात की जाएगी।

संतोष सीवी की "रत्नम" इतिहास के पाठों को याद रखने और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है।