रथ यात्रा की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण खुद ही द्वारका से पुरी आए थे और वहीं विराजमान हुए। इस यात्रा को भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका से पुरी यात्रा के रूप में भी देखा जाता है।
रथ यात्रा का सबसे खास आकर्षण होता है "रथयात्रा"। इस रस्मी में तीनों रथ खींचे जाते हैं। रथ खींचने का अधिकार केवल पुरुषों को है। यह अधिकार वंशानुगत होता है। रथ खींचने के लिए लगभग 5,000 लोग नियुक्त होते हैं।रथ यात्रा के दौरान पुरी और उसके आसपास के इलाके एक उत्सव के रूप में सज जाते हैं। भक्त भगवान के रथों के साथ नाचते-गाते हैं। हर तरफ भजन-कीर्तन और भक्ति का माहौल होता है।
रथ यात्रा एक महान सांस्कृतिक और धार्मिक पर्व है। यह भारत की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।अगर आप कभी पुरी आते हैं, तो रथ यात्रा का अनुभव जरूर करें। यह एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।
जय जगन्नाथ! जय भारत!