रवि शास्त्री: क्रिकेट का महानायक
आप सभी जानते ही हैं कि रवि शास्त्री भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान हेड कोच हैं। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ मैदान तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपनी मेहनत और जुनून से असंभव को भी संभव बना दिया।
रवि का जन्म मुंबई के बोरीवली इलाके में हुआ था। बचपन से ही उनका क्रिकेट के प्रति गहरा लगाव था। वे घंटों मैदान में गेंदबाजी और बल्लेबाजी का अभ्यास करते रहते थे। उनकी प्रतिभा देखकर कोच नारायणस्वामी ने उन्हें अपने क्लब में शामिल कर लिया।
1981 में, सिर्फ 19 साल की उम्र में, रवि ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। वह एक ऑलराउंडर थे जो तेज गेंदबाजी और आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। 1983 के विश्व कप में, उन्होंने टीम इंडिया को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभाई।
रवि की कप्तानी में भारतीय टीम ने कई यादगार जीत दर्ज कीं। उनकी सबसे खास जीत श्रीलंका के खिलाफ 1991 में चेन्नई में हुई थी। उस मैच में, भारत को जीत के लिए 319 रनों की जरूरत थी और रवि ने खुद 106 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई।
खिलाड़ी के रूप में संन्यास लेने के बाद, रवि एक सफल कमेंटेटर बने। उनकी हाजिरजवाबी और मैच का विश्लेषण करने की क्षमता के लिए उनकी काफी सराहना की जाती थी। 2014 में, उन्हें भारतीय टीम का हेड कोच नियुक्त किया गया।
रवि शास्त्री के मार्गदर्शन में, भारतीय टीम ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। टीम ने 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई और 2020-21 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया को उसके ही घर में हराया।
रवि शास्त्री की कहानी एक प्रेरणा है। यह हमें सिखाती है कि अगर हमारे पास जुनून और दृढ़ संकल्प है, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। वह न केवल एक महान क्रिकेटर हैं, बल्कि एक महान व्यक्तित्व भी हैं। उनकी विनम्रता, सकारात्मकता और हास्यबोध उन्हें सभी के लिए एक आदर्श बनाता है।
रवि शास्त्री, आपका शुक्रिया! आपने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और आप युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।