हर साल 24 जनवरी को, भारत अपनी बेटियों का सम्मान करने और उन्हें समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाता है। यह दिन हमारे देश में बालिकाओं की प्रगति और विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
एक पिता के रूप में, मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे दो खूबसूरत बच्चे हैं - एक लड़की और एक लड़का। दोनों ही मेरे दिल के बहुत करीब हैं, और मैं उन्हें समान रूप से प्यार करता हूं और उनकी परवाह करता हूं। हालांकि, मैं समझता हूं कि एक लड़की होना और एक लड़के के होने से अलग-अलग चुनौतियां आती हैं।
भारत में, लड़कियों को अक्सर लड़कों की तुलना में कम महत्व दिया जाता है। उन्हें अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अवसरों से वंचित किया जाता है। यह दुखद है, क्योंकि लड़कियां हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हैं। वे भविष्य की माताएं, बहनें और नेता हैं। हमें उनकी ज़रूरत है और हमें उनके अधिकारों और ευ मौकों को सुनिश्चित करना चाहिए।
बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। शिक्षा लड़कियों को अपने जीवन को नियंत्रित करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। शिक्षित लड़कियां कम शादियां करती हैं, कम बच्चे पैदा करती हैं और बेहतर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम प्राप्त करती हैं।
हमें लड़कियों को हिंसा और भेदभाव से बचाना चाहिए। दुर्भाग्य से, लड़कियां अक्सर यौन हिंसा, बाल विवाह और भेदभाव का शिकार होती हैं। हमें इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और लड़कियों को सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करना चाहिए।
हमें लड़कियों को नेतृत्व के पदों पर प्रोत्साहित करना चाहिए। जब लड़कियां नेतृत्व के पदों पर होती हैं, तो इससे सभी को फायदा होता है। वे महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते हैं, अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में मदद कर सकते हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें अपनी बेटियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मिलकर काम करने के लिए याद दिलाता है। चलो उन्हें कामयाब होने के लिए हर मौका दें। चलो उन्हें दुनिया में अपना स्थान बनाने में मदद करें।
याद रखें, लड़कियां देश का भविष्य हैं। उन्हें शिक्षित करें, उन्हें सशक्त बनाएं, उनकी रक्षा करें और उन्हें फलने-फूलने दें।
जय हिंद!