रहमानिया कैफे से उठकर सात समंदर पार निकल गया




संगीत की दुनिया में रहमानिया कैफ़े का नाम ऐसा है, जिसके सामने दुनिया के महानतम संगीतकार भी नतमस्तक हो जाते हैं। और इस कैफ़े की रौनक थीं, रहमत-ए-ख़ुदा रहमानिया कव्वाली। इन सबसे अफ़ज़ल नाम था, राहत फ़तेह अली खान साहब का। राहत साहब की ख़ुदाई आवाज़ आज भी हमारे दिलो-दिमाग पर राज करती है। कव्वाली के इस बेताज बादशाह ने न सिर्फ़ भारत और पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी आवाज़ से दीवान बना दिया।
राहत साहब का जन्म 30 दिसंबर, 1949 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था। उनका पूरा नाम राहत फ़तेह अली खान कुन्दल था। राहत साहब के पिता फ़तेह अली खान भी मशहूर कव्वाल थे। अपने पिता से ही राहत साहब ने संगीत की तालीम ली। राहत साहब की आवाज़ में ऐसा जादू था कि 1976 में उनकी पहली अलबम 'कली हो तो ऐसी' ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया।
राहत साहब की कव्वालियों में एक अलग ही रूह थी। उनकी आवाज़ में वो बात थी, जो सीधे दिल को छू जाती थी। उनकी क़व्वालियों में सूफ़ियाना अंदाज़ और इश्क़-मुहब्बत का दर्द इस कदर झलकता था कि सुनने वाला हर शख्स उनके सुरों में खो जाता था। उनकी मशहूर कव्वालियों में 'नूरे-मदीना', 'तूने माँगा मैं दे दूँगा', 'ओ धन तेरी कसम' और 'दिल में अगर है मेरी' जैसी कव्वालियाँ आज भी लोगों के दिलों की धड़कन हैं।
राहत साहब ने अपनी कव्वालियों के ज़रिए न सिर्फ़ इस्लामी धुनों को लोगों तक पहुँचाया, बल्कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और पंजाबी लोक संगीत को भी दुनिया के सामने लाया। उनकी कव्वालियाँ अलग-अलग भाषाओं में गाई जाती थीं, जिससे उनकी पहुंच दुनिया के हर कोने-कोने तक पहुँच गई।
राहत साहब की शोहरत सिर्फ़ साउथ एशिया तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी आवाज़ ने दुनियाभर के संगीतकारों को भी अपना दीवाना बनाया। उन्होंने दुनिया के कई बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। 2004 में उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड के लिए भी नॉमिनेट किया गया। राहत साहब की आवाज़ ने दुनियाभर में कव्वाली को एक नया मुक़ाम दिया।
राहत साहब सिर्फ़ एक महान कव्वाल ही नहीं थे, बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी थे। वे हमेशा दूसरों की मदद करने वाले और ज़रूरतमंदों की फ़िक्र रखने वाले थे। अपनी शोहरत और दौलत के बावजूद वे बेहद सादा जीवन जीते थे। 1997 में महज़ 47 साल की उम्र में राहत साहब का निधन हो गया। लेकिन उनकी आवाज़ आज भी हमारे साथ है और हमेशा रहेगी।
राहत फ़तेह अली खान साहब की आवाज़ से निकला हर सूर हमारे दिलों में एक अलग ही एहसास भर देता है। उनकी कव्वालियाँ आज भी हमारे दिलों में एक खास जगह रखती हैं। राहत साहब, आपकी आवाज़ सदा हमारे साथ गूंजती रहेगी।