लैटरल फ्लो टेस्ट, जिसे LFT या लैटरल फ्लो इम्यूनोअसेसमेंट टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है, एक तेजी से परिणाम प्रदान करने वाला प्रयोगशाला परीक्षण है जिसका उपयोग विभिन्न संक्रमणों की पहचान और व्यापारिक उपयोग के लिए किया जाता है। यह टेस्ट विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब तत्वीय प्रयोगशाला सुविधाओं और विशेषज्ञता की कमी होती है।
लैटरल फ्लो टेस्ट एक प्राणिजात डिवाइस है जिसमें एक एंटीजन और एंटीबॉडी संक्रमण के लिए परिचित किए जाते हैं। यह टेस्ट एक पटेंट फिबर से बने चट्टानीय मेम्ब्रेन पर आधारित होता है जहां एंटीजन और एंटीबॉडी के मेश्यूर संपर्क के कारण रंग की गोलियों में एंटीजन-एंटीबॉडी संयोजन होता है।
लैटरल फ्लो टेस्ट की कार्यप्रणाली बहुत सरल है। इसमें एक ब्राउनिश-रेड रंग की गोली का उपयोग किया जाता है जो एंटीबॉडी के साथ एंटीजन से संयोजन करती है। यदि नमूना में उपस्थित होने वाले एंटीजन के साथ एंटीबॉडी मौजूद है, तो रंग की गोलियों का संयोजन होता है और परिणाम धूसरित होता है। इस परीक्षण की विशेषता यह है कि परिणाम उपयोगकर्ता के इंद्रियों द्वारा तुरंत देखा जा सकता है।
लैटरल फ्लो टेस्ट का उपयोग विभिन्न संक्रमणों की पहचान करने में किया जाता है। यह टेस्ट खून, मूत्र, श्वसन गति, और अन्य शरीरी तत्वों में संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाने के लिए उपयोगी होता है।
कोविड-19 महामारी के समय, लैटरल फ्लो टेस्ट सबसे अधिक प्रचारित हुआ है। यह टेस्ट श्वसन गति और नाक स्राव के माध्यम से कोरोनावायरस की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें नमूना लेने के लिए नाक और गले के मुख्य इलाकों को स्वाभाविक ढंग से लिया जाता है और उपयोगकर्ता को परिणाम दिखाने में केवल 15-20 मिनट का समय लगता है। इसका लाभ यह है कि इसे आसानी से घर पर भी उपयोग किया जा सकता है और नतीजे तुरंत देखे जा सकते हैं।
लैटरल फ्लो टेस्ट विभिन्न रोगों की पहचान करने के लिए एक उपयोगी एवं व्यापारिक उपकरण है। यह आसानी से उपयोग किया जा सकता है और तत्वीय प्रयोगशाला सुविधाओं की कमी को पूरा करता है। लैटरल फ्लो टेस्ट ने कोविड-19 के समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वैज्ञानिक समुदाय के द्वारा स्वीकृति प्राप्त की है।