भारतीय राजनीति के इतिहास में लालकृष्ण आडवाणी एक प्रखर व्यक्तित्व हैं। राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता के रूप में उनकी भूमिका हमेशा याद रखी जाएगी। अपने अटूट संकल्प और राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण से, उन्होंने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को कराची, पाकिस्तान में एक सिंधी परिवार में हुआ था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान, उनका परिवार भारत आ गया और मुंबई में बस गया। आडवाणी ने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हो गए।
राजनीतिक करियर:
आडवाणी ने 1952 में जनसंघ के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह 1970 में लोकसभा के लिए चुने गए और जल्द ही जनसंघ के उभरते हुए सितारे बन गए। 1977 में, उन्हें जनता पार्टी की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री नियुक्त किया गया।
आडवाणी 1980 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने 'राम रथ यात्रा' की अगुवाई की, जो अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग के लिए एक विवादास्पद लेकिन प्रभावशाली अभियान था। आंदोलन ने भारतीय राजनीति में हिंदुत्व की भूमिका को बदल दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदय में योगदान दिया।
भाजपा अध्यक्ष:
1986 में, आडवाणी भाजपा के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में, पार्टी ने हिंदुत्व के मुद्दे पर तेजी से ध्यान केंद्रित किया और 1996 में पहली बार राष्ट्रीय सरकार का गठन किया।
गृह मंत्री:
1998 से 2004 तक, आडवाणी प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह मंत्री थे। इस दौरान, उन्होंने पोखरण-II परमाणु परीक्षणों की देखरेख की और कश्मीर में आतंकवाद से निपटने की नीतियों को लागू किया।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत:
आडवाणी की शादी कमला आडवाणी से हुई थी, जिनका 2013 में निधन हो गया था। वह अपने मजबूत चरित्र और आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। राजनीति से संन्यास लेने के बाद, वह एक वरिष्ठ राजनेता के रूप में सक्रिय रहे हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहे हैं।
भारतीय राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी का योगदान अमिट है। राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका ने भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया। हिंदुत्व के प्रबल समर्थक के रूप में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद और पहचान की समझ को आकार दिया। अपने लंबे और घटनापूर्ण करियर के माध्यम से, आडवाणी ने भारत के राजनीतिक इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है।