राजनीतिक सफर
लालू जी का राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ। 1975 में उन्हें बिहार यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया। इमरजेंसी के दौरान लालू जी ने जेल की हवा भी खाई। 1990 में जनता दल के टिकट पर लालू जी पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। अपनी सरल शैली और बिंदास अंदाज से उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया।राष्ट्रीय राजनीति में दखल
बिहार में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद लालू जी राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी धमक दिखाने लगे। 1997 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की स्थापना की और कांग्रेस के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई। लालू जी को रेल मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई, जहां उन्होंने कई लोकप्रिय योजनाएं लॉन्च कीं।विवादों और आरोपों से साक्षात्कार
हालांकि लालू जी की राजनीतिक उपलब्धियों को सराहा गया, लेकिन उनका जीवन विवादों से भी भरा रहा। चारा घोटाला, रेलवे घोटाला और लैंड फॉर जॉब घोटाले जैसे आरोप उनके ऊपर लगे। इन मामलों में दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा।परिवार का राजनीतिक विरासत
लालू प्रसाद यादव के परिवार का राजनीति से गहरा संबंध है। उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उनके बेटे तेजस्वी यादव वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं और उनकी बेटी मीसा भारती लोकसभा सांसद हैं।विरासत और प्रभाव
आज भी लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में एक ताकत बने हुए हैं। उनके नेतृत्व में राजद बिहार में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति है। लालू जी को उनके करिश्मे, जनता से जुड़ने की क्षमता और सामाजिक न्याय के लिए उनकी प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाता है। भारतीय राजनीति के इतिहास में उनका नाम हमेशा एक महान नेता के रूप में दर्ज रहेगा।