लाल बहादुर शास्त्री: एक संकल्पशक्ति और दृढ़ संकल्प की कहानी




भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी सादगी और दृढ़ संकल्प से देश को जीत लिया था। वाराणसी के पास एक छोटे रेलवे स्टेशन, मुगलसराय में एक साधारण परिवार में जन्मे शास्त्री ने महान ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
शास्त्री का राजनीतिक सफर बहुत कम उम्र में शुरू हो गया था। वह महात्मा गांधी के अनुयायी थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन दोनों में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
स्वतंत्रता के बाद, शास्त्री को उत्तर प्रदेश सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया था। 1951 में, वह केंद्रीय गृह मंत्री बने और बाद में उन्होंने परिवहन और रेलवे मंत्री के रूप में भी कार्य किया। प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद, शास्त्री को 1964 में भारत का प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया था।
अपने प्रधानमंत्रित्वकाल के दौरान, शास्त्री ने कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना किया, जिनमें भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 और देश में भीषण अकाल शामिल था। हालाँकि, उन्होंने इन चुनौतियों का सामना अडिग दृढ़ संकल्प और संकल्प शक्ति के साथ किया।
"जय जवान, जय किसान" के नारे के तहत शास्त्री ने सैनिकों और किसानों के बीच की कड़ी को सुदृढ़ किया, जो युद्ध के दौरान देश की रक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने "राष्ट्र सेवक" का भी आह्वान किया, जिसमें सभी नागरिकों से देश की प्रगति और विकास में योगदान करने का आग्रह किया गया।
शास्त्री की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध के बाद ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यह समझौता युद्ध को समाप्त करने और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण था।
11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में एक समझौते पर हस्ताक्षर करके शास्त्री की दुखद रूप से मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु एक बड़ी राष्ट्रीय त्रासदी थी, और उन्हें पूरे देश में शोक व्यक्त किया गया था।
शास्त्री को उनकी सादगी, अखंडता और देश के लिए उनके समर्पण के लिए याद किया जाता है। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कठिन परिस्थितियों का सामना किया और दृढ़ संकल्प और साहस के साथ उनसे पार पाया। उनकी विरासत आज भी भारतीयों को प्रेरित करती रहती है, और वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किए जाते हैं जिन्होंने राष्ट्र को एकजुट किया और उसके लिए बलिदान दिया।