लाल बहादुर शास्त्री: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री




भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में देश के लिए निस्वार्थ सेवा और बलिदान की मिसाल कायम की। वह अपने साहस, सादगी और दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते थे।

शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनका बचपन गरीबी और अभाव में बीता। लेकिन उन कठिन परिस्थितियों ने भी उनके अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प को नहीं तोड़ा।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने महात्मा गांधी के अहिंसक असहयोग आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल भी गए।
स्वतंत्रता के बाद, शास्त्री जी ने देश की सेवा करना जारी रखा। वह उत्तर प्रदेश के गृह मंत्री और परिवहन मंत्री रहे। 1956 में, उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल मंत्री नियुक्त किया गया।
1964 में, जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद, शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री बने। उस समय देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा था, जिनमें आर्थिक मंदी, खाद्य संकट और चीन के साथ सीमा विवाद शामिल थे।
शास्त्री जी ने इन चुनौतियों का साहस और दृढ़ संकल्प के साथ सामना किया। उन्होंने देश में हरित क्रांति की शुरुआत की और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए। उन्होंने चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए भी बातचीत की।
शास्त्री जी का सबसे प्रसिद्ध नारा था "जय जवान, जय किसान"। इस नारे ने देश के सैनिकों और किसानों की भावना को जगाया और उन्हें देश की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया।
11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में एक शिखर सम्मेलन में हृदय गति रुकने से शास्त्री जी का निधन हो गया। उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति थी।
आज, लाल बहादुर शास्त्री को उनके अदम्य साहस, सादगी और दृढ़ संकल्प के लिए याद किया जाता है। वह भारत के महानतम प्रधानमंत्रियों में से एक थे और उनका जीवन देश के लिए निस्वार्थ सेवा और बलिदान की मिसाल कायम करता है।