लाल बहादुर शास्त्री: भारत के विनम्र सेवक




लाल बहादुर शास्त्री, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति और स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधान मंत्री, एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपनी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था और जब वे डेढ़ साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की और बाद में वाराणसी में काशी विद्यापीठ में अध्ययन किया।
शास्त्री जी कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए। 1921 में, उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जेल से रिहा होने के बाद, उन्होंने कांग्रेस पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाई और उत्तर प्रदेश के विभिन्न पदों पर रहे।
1946 में, शास्त्री जी को जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में शामिल किया गया और उन्हें परिवहन और रेल मंत्री नियुक्त किया गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद, उन्होंने गृह मंत्री और वाणिज्य और उद्योग मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
1964 में, नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी को भारत का प्रधान मंत्री चुना गया। उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को अपने कार्यकाल के दौरान सोवियत संघ के ताशकंद में गुटनिरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान अपने प्राण त्याग दिए। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और उन्हें "जय जवान, जय किसान" के नारे के लिए याद किया जाता है, जिसे उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान दिया था।
शास्त्री जी एक महान व्यक्ति थे जिनके जीवन को सादगी, ईमानदारी और सेवाभावना से परिभाषित किया गया था। वे भारत के लोगों के लिए प्रेरणा बने रहे और उनकी विरासत आज भी प्रासंगिक है।