वट सावित्री व्रत 2024: सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह श्रावण मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह
19 जून, 2024 को पड़ रहा है। यह पर्व सुहागिनों के लिए उनके पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख के लिए रखा जाता है।
वट सावित्री व्रत की कथा
वट सावित्री व्रत की कथा महान ऋषि सत्यवान और उनकी पत्नी सावित्री से जुड़ी हुई है। सत्यवान एक राजकुमार थे, लेकिन श्राप के कारण उनका जीवन बहुत छोटा था। सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया और उनके जीवन को बचाने के लिए दृढ़ संकल्प लिया।
जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया, यमराज उनके प्राण लेने आए। सावित्री ने यमराज का पीछा किया और उनसे अपने पति का जीवन वापस मांगा। सावित्री की दृढ़ता और भक्ति से प्रसन्न होकर, यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया और उन्हें अमर बना दिया।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
वट सावित्री व्रत के दिन, सुहागिनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। वे वृक्ष पर जल, दूध, रोली, चंदन और फूल चढ़ाती हैं। वे लाल धागे से 108 बार वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं।
पूजा के बाद, सुहागिनें उपवास रखती हैं और रात में वट वृक्ष के नीचे जाकर कथा सुनती हैं। वे अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
- उनके पति की लंबी आयु सुनिश्चित करता है
- उनके वैवाहिक रिश्ते को मजबूत करता है
- उन्हें विधवा होने से बचाता है
- उनके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है
व्रत के दौरान सावधानियां
वट सावित्री व्रत के दौरान, सुहागिनों को कुछ सावधानियां रखनी चाहिए:
- उन्हें चावल, गेहूं और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए
- उन्हें मांस, मछली और शराब नहीं खानी चाहिए
- उन्हें दिन में एक बार ही भोजन करना चाहिए
- उन्हें क्रोध, ईर्ष्या और घृणा जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचना चाहिए
वट सावित्री व्रत का समापन
वट सावित्री व्रत का समापन अगले दिन होता है। सुहागिनें सुबह जल्दी उठकर वट वृक्ष पर जल और रोली चढ़ाती हैं। वे अपनी साड़ी का एक टुकड़ा वृक्ष पर बांधती हैं और फिर उपवास तोड़ती हैं।
इस त्योहार को मनाने से सुहागिनों को अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख का आशीर्वाद मिलता है। यह प्रेम, भक्ति और दृढ़ता का प्रतीक है।