विनायक चतुर्थी: गणेश जी की जन्मोत्सव की कहानी




प्रिय पाठकों, आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुना रहे हैं जो सदियों पुरानी है और जो हमारे प्रिय देवता गणेश जी के जन्मोत्सव का वर्णन करती है। विनायक चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।

कथा के अनुसार, माता पार्वती एक दिन स्नान करने के बाद अपने शरीर की मिट्टी से एक बालक बनाया। उन्होंने बालक को जीवन दान दिया और उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया। जब भगवान शिव वापस आए, तो बालक ने उन्हें माता पार्वती के कक्ष में जाने से रोक दिया। इससे क्रोधित होकर शिव ने बालक का सिर काट दिया।

जब माता पार्वती को इस बारे में पता चला तो वह अत्यंत दुखी हुईं। शिव ने अपने गणों को बालक का सिर लाने के लिए भेजा। गण उत्तर की ओर गए और उन्हें एक हाथी का बच्चा मिला जिसका सिर कटा हुआ था। शिव ने हाथी के बच्चे के सिर को बालक के शरीर पर लगाया और उसे पुनर्जीवित किया।

शिव ने बालक को अपने वरदान से अमरता और बुद्धि का वरदान दिया। उन्होंने उसे "गणपति" (गणों का स्वामी) और "विनायक" (विघ्नों का नाश करने वाला) नाम दिया। इसी दिन से विनायक चतुर्थी का त्योहार मनाया जाने लगा।

विनायक चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। वे गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं और मिठाइयां चढ़ाते हैं। इस दिन लोग विघ्नहर्ता गणेश जी से अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

विनायक चतुर्थी का त्योहार भारत में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों को सजाते हैं। जगह-जगह गणेश पंडाल स्थापित किए जाते हैं जहां लोग गणेश जी की पूजा और भजन-कीर्तन करते हैं।

विनायक चतुर्थी का त्योहार न केवल गणेश जी के जन्मोत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि हमारे जीवन में आने वाले विघ्नों और बाधाओं को हम गणेश जी की कृपा से दूर कर सकते हैं। तो आइए हम सभी मिलकर विनायक चतुर्थी का त्योहार पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश!